मुझ को कुछ न चाहिए
सब मिला है भाग्य से |
किसने कहा कि मैं हूँ अक्षम
मैं भी हूँ सक्षम हर कार्य में
पहाड़ हिला सकती हूँ
आज की नारी हूँ
किसी से कम नहीं हूँ |
ऊंची उड़ान हँ ध्येय मेरा
उसमें सफल रहूँ
हार का मुह न देखूं
बस रहा यही अरमान मेरा |
यदि सफलता पाई
जीवन में आगे बढूंगी
जीत लूंगी सारा जग
पलट कर पीछे न देखूंगी |
आशा
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 26-05-22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4442 में दिया जाएगा| चर्चा मंच पर आपकी उपस्थित चर्चाकारों का हौसला बढ़ाएगी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
वाह ! असली पूँजी यही आत्मविश्वास है ! इसीके सहारे मनुष्य हर कठिन से कठिन बाधा को सफलतापूर्वक पार कर जाता है ! सार्थक सृजन !
जवाब देंहटाएंThanks for your comment
हटाएंआपकी रचना ने यह साबित कर दिया कि
जवाब देंहटाएंसक्षम की सही परिभाषा है आत्मविश्वास
सार्थक सृजन
सादर
प्रेरित करने वाली पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंसार्थक सृजन
जवाब देंहटाएंThanks for your comment
हटाएंसुन्दर सार्थक सृजन
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
हटाएंसार्थक सृजन। व्यक्ति में आत्मविश्वास हो तो वो क्या नहीं पा सकता है।
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
हटाएंThanks for information of my post
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