25 मई, 2022

किसी से कुछ न चाहिए

 

मुझ को कुछ न चाहिए

 सब  मिला है भाग्य से |

 और कुछ न चाहिए 


किसने कहा कि मैं हूँ अक्षम     

मैं भी हूँ सक्षम हर कार्य में

पहाड़ हिला  सकती हूँ

आज की नारी हूँ

किसी से कम नहीं हूँ  |

ऊंची उड़ान हँ ध्येय मेरा

उसमें सफल रहूँ

 हार का मुह न देखूं

बस रहा यही अरमान मेरा |

यदि सफलता पाई

जीवन में आगे बढूंगी 

जीत लूंगी सारा जग 

पलट कर पीछे न देखूंगी |

आशा 

12 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 26-05-22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4442 में दिया जाएगा| चर्चा मंच पर आपकी उपस्थित चर्चाकारों का हौसला बढ़ाएगी
    धन्यवाद
    दिलबागसिंह विर्क

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  2. वाह ! असली पूँजी यही आत्मविश्वास है ! इसीके सहारे मनुष्य हर कठिन से कठिन बाधा को सफलतापूर्वक पार कर जाता है ! सार्थक सृजन !

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  3. आपकी रचना ने यह साबित कर दिया कि
    सक्षम की सही परिभाषा है आत्मविश्वास
    सार्थक सृजन

    सादर

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  4. प्रेरित करने वाली पंक्तियाँ

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  5. सार्थक सृजन। व्यक्ति में आत्मविश्वास हो तो वो क्या नहीं पा सकता है।

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