31 दिसंबर, 2023

आनेवाला कल

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आज की  रात बीतेगी नया साल

मनाने के लिये स्वागत की तैयारे में  

 आने वाले वर्ष  के स्वागत की मौज मस्ती में

कल सुबह तक नींद न आएगी खुमारी  रहेगी |

आज की रात आई है दो हजार तेईस में  

कल सुबह आएगी दो हजार चौबीस में

हमारी नींद खुलेगी पूरे एक साल बाद ने साल में

कल सुबह  आदित्य अपने रथ पर हो सबार

घूमने निकलेगा देशाटन को

रश्मियाँ उसकी फैलेंगी वृक्षों की पत्तियों पर 

बहुत सुन्दर नजारा होगा बाग़ का 

जितना सुन्दर सुवह का नजारा होगा 

आज की  रात बीतेगी नया साल

मनाने के लिये स्वागत की तैयारे में  

 आने वाले वर्ष  के स्वागत की मौज मस्ती में

कल सुबह तक नींद न आएगी खुमारी  रहेगी |

आज की रात आई है दो हजार तेईस में  

कल सुबह आएगी दो हजार चौबीस में

हमारी नींद खुलेगी पूरे एक साल बाद ने साल में

कल सुबह  आदित्य अपने रथ पर हो सबार

घूमने निकलेगा देशाटन को

रश्मियाँ उसकी फैलेंगी वृक्षों की पत्तियों पर

बाग़ में फूल खिलेंगे सुरभी जाएगी दूर तक 

माली की खुशी होगी दोगुनी |

आशा सक्सेना 

 

30 दिसंबर, 2023

जीवन की गाड़ी


 

जब जन्म लिया बड़ी हुई 

मेरी गाड़ी चल निकली

समय के साथ साथ

कोई व्यवधान नहीं आया |

जीवन चला निर्वाध गति से

कोई कठिनाई नहीं आई मार्ग में

पर जैसे जैसे उम्र बढ़ी

बाधाओं ने रंग दिखाना प्रारम्भ किया  |

पहले छोटे झटके लगे जिनसे सरलता से उभरी  

बड़े झटके सहन ना कर पाई लडखडाई गिरी

फिर गिर कर सम्हली आगे चली

अब तो यह रोज की बात हो गई |

समय की गति तो सामान्य  रही

 मेरी गाड़ी की गति कभी तेज कभी धीमी हुई

मेरी गाड़ी समय की बराबरी न कर सकी

आखिर हिम्मत हार गई बहुत पिछड कर रह गई |

आई प्रभु की शरण है तरन तारण

अब वही आशा ले कर आई हूँ

मेरी आशा पूर्ण करों भव सागर से पार करो

 गाड़ी सही मार्ग पर लाओ जीवन का बेड़ा पार लगाओ|

29 दिसंबर, 2023

दीपक हुआ उदास




है आज दीपक उदास

अकेलापन उसे डसता है

जब से हुआ अपने

सयोगीयों से जुदा |

बैठा है बहुत  उदासी से भरा

 अपने साथिओं के अभाव मैं

जिनने उसे छोड़ा बिना बात

उसने पाया अकेला खुद को |

उसने सोचा था

वह  अकेला ही काफी है

जलने के लिए समीर के साथ  

अपने  कार्य के लिए |

 नहीं आवश्यकता होगी

 तेल और बाती की

पर वह जान न पाया

अकेला कुछ नहीं कर सकता |

बिना सहयोग लिए

 तेल और बाती  का

समीर के बिना भी

 कुछ नहीं हो सकता  |

जब सब एकत्र हो  जाते हैं

मिल जुल कर कार्य

 सम्पन्न करते हैं  

दीपक जल जाता है

पूर्ण रौशनी के साथ |

मन का अन्धेरा भी

 लुप्त हो जाता है

जब घर का कोना कोना

रोशनी में नहाता है |

आशा सक्सेना 

28 दिसंबर, 2023

जिन्दगी जीने के लिए हैं आवश्यक

 

जिन्दगी जीने के लिए  क्या चाहिये

क्या रोटी कपड़ा और मकान चाहिए

इन साधनों से क्या होता है

 केवल शरीर ही चल सकता है मन नहीं |

शरीर के अलावा कुछ और भी होता है

नाम है  जिसका मन 

 कोई रूप रंग नहीं उसका

यदि  उसका ध्यान नहीं रखा 

तब  वह नाराज बना रहता |

उसकी भी संतुष्टि चहिये 

उस हेतु  यत्न करना होते हैं 

जितनी आवश्यकताएं पूर्ण होगी 

तभी सफल जीवन होगा

उतना ही मन प्रसन्न होगा

 जीवन भर खुशियों के  फूल खिलेंगे |

 रोटी कपडे और मकान की जरूरत से भी 

मुंह फेरा नहीं आ सकता

ये और मन की संतुष्टि  दौनों हैं 

 आवश्यक सुखी जीवन के लिए |

आशा सक्सेना

27 दिसंबर, 2023

हाइकु (बरसात )

 

1  -हैं सुनहरी 

शाम की रंगीनियाँ

सूरज ढला 

२-हरी पत्तियाँ

वृक्षों पर सोहतीं

मुरझा गईं

३-है हरा भरा 

बगिया का आलम

माली है  खुश 

४-सावन आया

झरझर बरसा

टपका जल

५-बरसा जल

ओले बरस रहे

हवा के साथ  

६- ओले पड़ते 

धीमें धीमें बाहर 

थाली में रखे 

७-ओले का पानी 

उपयोगी दवा  है 

अपने लिए |

आशा सक्सेना 

26 दिसंबर, 2023

आने वाला वर्ष

 कल की सुबह जब होगी 

आने वाले वर्ष  का इन्तजार रहेगा 

जाने वाले कल ने विदा चाही 

जाने कितने अधूरे रहे काम जो पूर्ण न हो पाए 

उनकी पूर्ती करना जरूरी है  |

यदि सोचा समझा नहीं कार्य जो शेष हैं 

 वे ऐसे ही रह जाएंगे कभी पूर्ण न हो पाएंगे |

 हम अपने आप से बादा करलें 

आगे बढ़कर  आने वाले वर्ष में  

 कदम बढ़ाकर पीछे न हटाएंगे  

कभी हार किसी से न मानेगे |

आने वाला वर्ष बहुत सी खुशिया लाएगा 

तभी जोर शोर से उसका स्वागत किया जाएगा 

सारे कार्य जब संपन्न होंगे 

मन को सुकून मिलेगा  |

आशा सक्सेना 



25 दिसंबर, 2023

हाइकु(प्यार )

१- किसी की याद 

भूल नहीं पाती हूँ 

कितना  सहूँ 


२-मन में आए 

काँटों सा  चुभ जाए 

मनको खले 


३-प्यार आए 

अबोधों पर  फैले 

मन में छिपे 



४-वह  प्यार है 

या  दिखता  छल है 

मालूम किसे 


५-मन का प्यार 

कोई छलावा नहीं 

सच्चा रहता  


६- मैंने किसी से 

छलावा नहीं किया 

प्यार किया है 

24 दिसंबर, 2023

हैप्पी क्रिसमस

 


                                                       अगला 
 कक्ष सजाया विशेष हमने 

बनाया केक और मिठाइयां

स्वागत में सांता क्लाज के लिए |

आज क्रिसमस  ट्री  लाए 

पेड़ सजाने के लिए खिलोने भी लाए 

बहुत समय हो गया अब है इंतज़ार

उसके आने का और उसके तोहफों  का |

सभी ने सोचा सांता

 क्या लाएगा उनके लिए

गिर्जाघर में प्रार्थना हुई

 सब ने आपस में हैप्पी क्रिसमस कहा |

रात हुई चर्च की घंटी बजी

 आहट किसी  के आने की हुई

 द्वार खोल कर जब  देखा

 पहले जैसा सांता समक्ष ना था

 बहुत कमजोर दिखा |

एक थैला लिए अपने कन्धों पर

 थैला भी  छोटा देख चिंता हुई कारण पूंछा

क्या सांता कम खिलोने  लाए हो

 बच्चों के लिए

सांता ने थैली छोटी होने का कारण बताया

ख़ुशी से  कहा|

राह में कुछ बच्चों से मिले 

उनको दे दिए कुछ 

 बच्चे बहुत खुश हुए

उनकी खुशी देख  सांता भी हुए प्रसन्न |

यह दया भाव  देख उसका  

हमें अपार प्रसन्नता हुई  

जो भी वह लाया हम सब ने मिल कर लिया खुशी से   

हैप्पी क्रिसमास मनाया  |   

आशा सक्सेना           

  

 

23 दिसंबर, 2023

चिलमन की ओट से

 जब भी उसने झांका चिलमन की ओट से 

काली कजरारी आँखों की दृष्टि उस पर पड़ी 

नजर मिली वह  शरमाई  चेहरा सुर्ख हुआ 

देखते ही बनता था उस की मूरत को |

उसकी सूरत तो न देख पाया

 पर छाया से ही संतुष्टि कर पाया 

सुनी चूड़ियों की खनक पायलों की रुनझुन 

अपने बहुत पास तक 

पर हाथों से छू न सका  |

सोचा वह दिन कब आएगा

 जब इन्तजार होगा समाप्त 

प्रिया के हाथ उसकी बाहों में होंगे 

वह  अपने को  धनवान मानेगा |

आशा सक्सेना 


22 दिसंबर, 2023

प्रभु क्या चाहे

 



मेरा प्रभु  चाहे 

महक चन्दन की

खुश्बू पुष्पों की   

सुगंध  मिट्टी  की|

है ईश्वर की नियामत  

यही प्रभू चाहता  

अर्पित  की मैने

ईश्वर है भाव का भूखा

किसी वस्तु का नहीं |

है वक्त पर मददगार

बिना किसी बाध्यता के 

वह सच्ची आस्था को

जानता पहचानता है |

 लगाव हो उससे

कोई नहीं भी मांगे

अपने लिए बिना मांगे

सब प्राप्त होता है |

सच्ची आस्था  

है  आवश्यक  

उसे मनाने को

और कुछ नही चाहिए |

वह खुद ही

जान जाता है

याचक को

क्या चाहिया |

 

आशा सक्सेना

 

19 दिसंबर, 2023

कभी किसी अभाव का हुआ न एहसास


सांस रुकने के पहले शेष काम करना हैं

 कोई कार्य अधूरा ना रहे यही सोचना है 

उन्मुक्त जीवन जिया है अब तक बंधन नहीं चाहिए कोई

 यही है प्रार्थना प्रभू से |

 किसी से क्या चाहिए जबअपनों ने  ही साथ ना  दिया हो

कभी दो शब्द अपनेपन के सुनने को कान तरसे |

हम तो घर से दूर रहे किसी से ना की अपेक्षा कोई

अपने में सक्षम रहे जीवन भरा कठिनाइयों से

सुख के पल देखे जरा से डेरा डाला दुःख ने

 बड़ी उलझने आईं एक बात समझ में आई

सुख के सब साथी होते दुख में  कोई नही होता अपना |

अब घबराने से क्या लाभ होगा जब अकेले ही जीवन भर रहना है

जब तक रहा साथ तुम्हारा जीवन में विविध रंग रहे

कभी किसी अभाव का हुआ ना एहसास 

कोई कार्य अधूरा रहे या नहीं  ना रहे यही सोचना है |

उन्मुक्त जीवन जिया है अब तक

बंधन नहीं चाहिए कोई

 और यही है प्रार्थना प्रभू से |

आशा सक्सेना         

 

यही सोचा दिल से चाहो

 


तुमने की आराधना जब मन से

वह  कृपावन्त हुआ

पर फल की आशा न की जब

अति प्रसन्न हुआ  |

जैसे किसी ने ठीक कहा 

 और मेरे मन ने यह मान लिया 

बिना  मांगे मोती मिलते

मांगे मिले न भीख |

जो सोचो सच्चे मन से चाहो  

प्रभु की नजर पड़ जाए अगर   

वह  हाथ बढ़ाना चाहे

यदि दृढ़ आस्था रही तुम्हारे मन में |

तुम मन से सच्चे रहो  

कोई कमी नहीं छोड़ी तुमने

हुई  कृपा ईश्वर की  तुम पर  

यही दिया तुम्हें खुले हाथ से उसने |

अपना हक़ न समझो इसे तुम

यदि जो मिला उस पर गर्व किया  

यही तुम्हारी भूल समझ कर 

उसने पहली गलती मान

 क्षमा किया तुमको |

कभी करना नहीं गुमान

अपनी किसी प्राप्ती पर 

तुम भी अनजाने में

 उसे याद करते हो दिल से

किसी का बुरा नहीं चाहते

यही विशेषता है तुममें |

तुम हो उसकी पहली पसंद

है वह  मोहित तुम पर

तुम्हारा व्यवहार है सब से जुदा

             हो सब से भिन्न

             सफल रहो जीवन में |

                  आशा सक्सेना