27 मई, 2023

हाईकू


 

१-कितने स्वप्न

देखे हैं दिन ही मैं

समझ आई

२-ये सपने भी

कभी खोते  जाते हैं

 नहीं मिलते

३-जानते नहीं

उलझाते रहे  है 

 बचाओ मुझे

४-प्यार से  बंधे  

 इतने मजबूत

 उसे  जकडे  

५-तेरा  प्यारहै  

इतना नाजुक  कि 

मोम जैसा है

आशा सक्सेना 

25 मई, 2023

जीवन की कहानियां


जीवन की कहानियां

कभी ख़ुशी कभी गम

आए दिन की बात है

 मैं सोच नहीं पाती |

की फरमाइशें बच्चों ने

जिनको पूरा कर न सके

 पत्नी की उदासी में

सारा दिन हुआ बर्बाद |

मन को इतना कष्ट हुआ  

तुम् सह  नहीं पाओगे

सोचोगे कैसे जीवन जिया जाए

वह  तो मुझे ही जीना है|

मै किस तरह जीता हूँ

किसी से कह भी नहीं सकता

सोच रहा हूँ कहीं दूर चला जाऊं

वहीं से नौकरी करूकुछ मदद करू

और कोई विकल्प नहीं मेरे पास |

आशा सक्सेना


22 मई, 2023

जीवन एक वृक्ष जैसा

 

जीवन एक पेड़ जैसा

पहले पत्ते निकलते

फिर डालियाँ हरी  भरी होतीं

वायु के संग खेलतीं

धीरे धीरे कक्ष से

 कलियाँ निकलतीं

पहले तो वे हरी होतीं

फिर समय पा कर

खिलने लगतीं तितली आती

इन से छेड़छाड़ करतीं

भ्रमर भी पीछे ना

वे प्यार में ऐसे खो जाते

पुष्प की गोद में सिमट  रहते

जब तक संतुष्टि ना हो

वहीं  सो  रहते

मन भर जाते ही अपनी राह लेते

इन तीनों का खेल देखने में 

बड़ा मनोरम लगता

हरी डाल पर रंगीन पुष्प अद्भुद द्रश्य होता |

आशा अक्सेना

21 मई, 2023

आज का जीवन

 

इस संसार में अनेक जीव रहते

 अपना जीवन व्यापन करते

एक दूसरे को अपना भोजन बनाते

बड़े का वर्चस्व होता छोटे पर

इसी लीक पर चल रहा

 आज का समाज

ताकतवर से कोई

 जीत नहीं पाता

सदा उसके ही गीत गाता

उसके अनुरूप चलती

मन में सोचता कब तक गुलामी सहेगा

ईश्वर ने किस बात की सजा दी है

उसका अस्तित्व कैसे दबा दबा रहेगा

अब तो ऐसे वातावरण में

जीने का मन नहीं होता  

सोचता रहा कैसे भव सागर पार करू

दूसरा किनारा देख मन मुदित होता

जैसे ही प्रहार  लहर का होता

वह  जल में वह विलीन हो  जाता |

19 मई, 2023

राधा रानी व् कृष्ण








कान्हां ने काली कमली   पहनी 

बाँसुरी ली हाथ बन मैं बजाई 

मधुर धुन जब सुनी ग्वालों ने 

दौड़े चले आए वहां पर |

धेनु चराई शाम तक

घर को चले  थके हारे ग्वाले 

गायों को भी भूख लगी थी 

घर पर दाना पानी का प्रवंध किया

राधाने नाराजगी जताई 

रूठी रहीं बात न की 

कड़ी धुप में तुम मुरझा जातीं 

तुम क्या जानो ठंडी हवा में 

वन में घूमने का आनंद 

कृष्ण ने समझाया

 कल ले चलने का वादा किया

 तब जाके मन पाईं राधा |

आशा सक्सेना   |


18 मई, 2023

प्रथम गुरू को मेरा प्रणाम



मां ने दुलारा बहुत प्यार किया 

पर गलत बात पर बरजा 

मुझे अपनी गलती का एहसास कराया 

हर बात कायदे की सिखाई |

 कभी  न हो अधीर रहो धैर्य से 

यही शिक्षा दी माँ ने 

जिसने किया अलग

मुझको सब से |

ज ब रोना गाना मचाया मैंने 

गोद में ले कर समझाया मुझे 

शांत मन रहने को कहा |

इतनी शिक्षा दी मुझे

 तभी तो प्रथम गुरुं कहलाई 

|है मेरी माँ सब से  अलग 

उस जैसा  कोई नहीं है|

सदा उसकी छाया  में रहूँ

 दिल मेरा यही चाहता 

प्रथम गुरुं को मेरा दिल से प्रणाम 

यही मेरा मन कहता  |

आशा सक्सेना 

17 मई, 2023

था कभी यहीं घर था मेरा



 


 था घर किसी का यहीं पर

बड़ा सा दरवाजा था

लोग ठहर जाते थे

 उसकी भव्यता देख |

 आज है वीरान उजड़ा

सारी रौनक तिरोहित हो गई है

काली गाय दिखाई नहीं देती

नाही पीली कुत्ती का ठिकाना |

वे क्यों ठहरते अब कोई उनकी

परवाह नहीं करता

नाही लाड दुलार करता

ना समय पर खाना देता |

अंदर झाँक कर देखा

वस्तुएं सभी उथल पुथल

कोई देखता तो समझता

है कितना कठिन अकेले जीना |

दरवाजे पर एक बुजुर्ग बैठे खांस रहे थे

अकेले जीवन ढो रहे थे

एक भी व्यक्ति ऐसा ना था

 जो सुख दुःख का साथी होता |

भर आईं मेरी आँखे

घर के ये हाल देख

सोचा जाकर याद दिलाऊँ

 मैं अब आ गई हूँ कहीं नही जाऊंगी |

मैंने भी जमाने की ठोकरे खाई है

यहां तक आते आते

 कितनी कठिनाई झेली हैं

शायद मेरे प्रारब्ध में यही लिखा था  |

अब सीधी राह मिल पाई है

मुझे ख़ुशी है मै ठीक से आ गई हूँ

अपने जीवन के प्रांगन मै

अब कोई गलत राह ना  पकडूगी|

आधा जीवन तो बीत गया

थोडा सा अभी बाक़ी है

 उसे हरी नाम ले बिताऊँगी

अपना जीवन सफल करूंगी |

आशा सक्सेना 

16 मई, 2023

जिन्दगी एकतारे जैसी




 मेरी  जिन्दगी एक तारबाध्य सी 

 जब तक बजता एकतारा   बहुत मधुर लगता है

पर जैसे ही तार टूट जाता है

जीवन  भी धोका देता है |

जिस पर नाज सारी दुनिया करती

 यदि रास्ता बदले सड़क टूटी हो

आगे बढ़ नहीं पाते

यही से कठिनाई शुरू हो जाती है |

जितना रास्ता पार करना होता

वही पूर्ण नहीं हो पाता

 तमाम चोटें पैर सहते मन भी आहत होता

खुशी तिरोहित हो जाती है |

जीवन में जब तार जुड़ जाते

तार स्वर में लाए जाते

यही सिलसिला फिर से प्रारम्भ होने लगता

स्वर से स्वर मिलते मधुर धुन सुनाई देती

मन की अशांती फिर गुम हो जाती |

वही मधुर धुन जब कानों में पड़ती

जीवन खुशरंग हो जाता |

आशा सक्सेना

 

15 मई, 2023

कविता के रूप अनूप


 कविता के रूप अनूप मुझे बहुत लुभाते 
सुनते ही मन में खुशी बढाते 

जब तक पूरी ना  हो कोई सुन नहीं पाता

जब तक नया रूप ना हो आनंद नहीं आता 

कोई  सुनना नहीं चाहता |

कहने को तो कुछ नहीं कविता लिखने में 

सतही अर्थ समझने में 

पर गूढ़ अर्थ समझना आसान नहीं होता 

जिसके अनुभव होते गहन

 वे पूरी तरह उसे  आत्म सात करते 

पूर्ण आनंद  लेते यही विशेषता होती जब 

लिखना सार्थक हो जाता

श्रोता वक्ता जब एक दूसरे को समझ पाते 

कवि सम्मेलन का आनन्द ही कुछ और होता  |

आशा सक्सेना 

14 मई, 2023

जीवन की शाम

 

अथाह सागर है,किनारा दिखाई नहीं देता 

बड़ी बड़ी लहरे किनारे पर

जो भी  साथ बहता , बहता ही जाता

समुद्र के बीच तक , किनारा ना खोज पाता

आखिर वह  घड़ी भी आती

जब भव सागर में वह डूब जाती 

सब का अंत होने का यही है तरीका

शरीर छूटते ही सभी समाप्त हो जाता |

माया मोह नहीं रहता,सभी यहीं रह जाता

इसी दुनिया में खाली हाथ आए थे

अब खाली हाथ चल दिए ,कुछ साथ नहीं जाता

हमारे कर्मों को ही ,याद किया जाता  |

यदि कर्म कुछ अच्छे रहे ,जीवन समाप्ति के बाद भी

समय समय पर ,याद किया जाएगा उन्हें

 बरसों तक खाली स्थान ,भर ना  पाएगा

यही बात है असाधारण ,दुनिया यूँ ही  चलती है |

आशा सक्सेना  


13 मई, 2023

मन चाहे कितनी भी मनमानी करे






                                                                    मन चाहे कितनी भी

 मनमानी करे 

जीते हारे अपने विचारों में 

यह कोई अच्छी बात नहीं |

समाज में रहने से 

उसके अनुकूल चलने से 

कुछ तो सीखने को मिलता है |

कोई फैक  नहीं देता 

अपने विचारों को कुछ तो

समाज  मान्यता देता है 

धीरे धीरे प्रगति की और 

अपने आप  कदम  

बढ़ने लगते हैं

 यही क्या कम है|

आशा सक्सेना 

12 मई, 2023

किसी को मत तोलो एक ही तराजू से


 किसी को मत तोलो  एक ही तराजू ने 

सब का स्वभाव कभी एक सा नहीं होता 

कभी दो लोग सामान नहीं होते

 इस लिए भी उनके आचार विचार होतेहैं भिन्न |

उनको कितना भी तराशा जाए

 कभी पूर्ण  हो ही नही पाते 

जो चाहिए वे गुण उसके व्यक्तित्व में

 आ ही नहीं सकते  जिससे की जा सके कोई उम्मीद 

|मन को बहुत पीड़ा होती है उसके व्यबहार  से 

क्या सोचा था और क्या पाया 

अब जान लिया है इसी लिए 

अपने विचार को नियंत्रण  में रखा है |

आशा सक्सेन

09 मई, 2023

है कितनी समानता दौनों में


 है कितनी समानता दोनों में 

 कभी सोच कर देखना 

उसमें तुममे है यह भी विचार करना 

तभी दौनों में इतनी पटती है |

उसे आडम्बर रास नहीं आता 

मन में दिखावा चोट पहुंचाता 

तुम भी उससे कम  नहीं हो  

छोटी बातों पर बुरा मानते हो  |

तुम भी ऐसा ही व्यबहार करते हो 

जैसा अपना सम्बब्ध होगा 

वैसा ही व्यवहार दूसरे से होगा |

 हालाकि मन तो दुखेगा|पर क्या करें 

|ईश्वर ने नजाने क्या सोच कर 

दौनों की जोड़ी बनाई है 

तब भी जब दौनों में तकरार होती है  |

सुलह के लिए बड़ों की जरूरत होती है 

यही बात मुझे बेचैन करती है 

मेरे मन का संतुलन डगमगाती है 

मुझे किसी बात का कष्ट होता है 

यह भी किसी से बाट नहीं सकती 

मैं क्या करूं किससे कहूँ |

आशा सक्सेना 


08 मई, 2023

आवश्यकता आत्म निर्भरता की

 ना किसी से कुछ चाहा 

यदि किसी से प्राप्त हुआ भी

 मन से ना  स्वीकारा 

मन में रहा गुप्त हो कर |

 किसी से सहायता की 

है क्या आवश्यकता 

यही सिखाया बच्चों को 

किसी की दया के पात्र ना बनो 

अपना आत्म बल तोलो

 उसी का उपयोग करो |

मेरा मन कहता  है 

तुम कभी ना  हारोगे 

यही टिप तुम्हारे काम आएगे 

तुम्हारा जीवन सवारेगे |

आशा सक्सेना 

07 मई, 2023

कमल कामिनी


                                                          नाजुक  कमनीय  दिखती 

मन से  सुन्दर है 

तन से ही सुन्दर नहीं 

कमल के फूल सी हो |

दलदल  में खिलती 

पर ज़रा भी मिट्टी में

 लिपटी  नहीं  होती 

यही विशेषता है उसकी |

हर बार सबको

 बहुत पसंद आती है 

उसकी सुन्दरता है अनमोल 

आम पुष्पों से भिन्न  |

क्या फ़ायदा उसे तोड़ने मैं 

बेजान गुलदस्ते में सजाने  में 

 वह  तो डाली पर ही शोभा देती है 

यहीं सजी सजाई अनमोल दिखती है|

आशा सक्सेना 

06 मई, 2023

काश हमारे जीवन में

 

काश हमारे जीवन में

कुछ नया होता तो

 हम   सह्लेते

पर घुटने ना टेकते |

 यही आस्था है मन में

जता नहीं सकती सब को

यही समस्या है मेरी, किस को याद करू

कैसे उसे हल करू अपना मानूं |

 है यह मन चंचल का प्रताप

कभी सोच नहीं पाई

कोई हल नजर ना आया

कोई निष्कर्ष  निकाल  नहीं पाई |

मन में धैर्य का अभाव रहा

तभी नतीजा ना मिल पाया

इस धैर्य को कैसे प्राप्त करूं

किसे गुरू स्वीकारूं|

05 मई, 2023

हाइकू

 


१-कैसा जीवन

सफल असफल

निर्णय किया

२- धर्म अधर्म

उलझन में पड़ी

किसे चुनलूं

३-भक्ति धर्म की

या अंधविश्वास है

किसको चुनू

४- आरती करूं

भोग प्रसाद बनाऊँ

प्रभु मनाऊँ  

५-मजदूर हूँ

महनत से ही है

लगाव मुझे

६-जीवनसंध्या

अपने नंबर की  

राह देखती

आशा सक्सेना