(१)
घर की शान हैं बेटियाँ
सुख की बहार हैं बेटियाँ
उन बिन घर अधूरा है
मन की मुराद हैं बेटियाँ |
(२)
वे जंगली बेल नहीं
ना ही किसी पर कर्ज
नाजुक हरश्रृंगार के फूलों सी
हैं आँगन की बहार बेटियाँ |
(३)
धांस फूस सी बढ़ती बेटी
संग हवा के बहती जाती
सामंजस्य यदि ना हो पाता
पा तनिक धूप मुरझा जाती |
(४)
मन्नतों के बाद तुझे पाया
हुआ दुआओं का असर
तुझे बड़ा कर पाया
अब आँखों सेओट न होना
मेरा सपना तोड़ न देना |
आशा