हर आहट पर निगाहें
टिकी रहतीं दरवाजे पर
टकटकी लगी रहती
हलकी सी भी पद चाप पर
चाहे आने की गति
धीमी
हो कितनी भी
मैं पहचानता हूँ
पदचाप तुम्हारे कदमों की
चूड़ियों की खनक
पायलों
की रुनझुन
धीरे से झाँक इधर उधर
देना दस्तक दरवाजे पर
तुम्हारे आने का
एहसास करा देता है मुझे
पर
इंतज़ार की घड़ी
समाप्त
नहीं होती है
तुम्हारी शरारत को भी जानता हूँ
परदे की ओट में छिप कर
पल्ले को धीमें से लहरा कर
चूड़ियाँ का खनकना धीमें से
पायल
बजने का एहसास
देता है गवाही तुम्हारी पदचाप की
मन मयूर नर्तन करने लगता है
तुम्हारे आने की आहट से |
आशा
आशा