07 मई, 2019

खंजर

                                    खंजर है रक्षा के लिए
    पीठ पर वार के लिए नहीं
जो भी करता वार पीठ पर
वह है दरिंदा इंसान नहीं |
प्यार है बहुत दूर उससे
कभी उसे जान पाया नहीं
ममता क्या होती है ?
उसे खोज पाया नहीं  |
बचपन से ही परहेज रखा
ये शब्द हैं निरर्थक जीवन में
इनका कोई स्थान नहीं
तभी कोई ऐसे भाव् मन में आते नहीं
 ऐसे शब्दों के जाल में उलझाते नहीं|
पर उसकी निगाहें
 है खंजर की धार सी  पैनी
तुरंत भांप लेती हैं
क्या है मन में किसी के  |
मंशा पहचान लेती हैं
पलटवार के लिए सदा रहती तत्पर
उसके लिए नया नहीं है वार पर वार करना
खंजर की पैनी धार है
अपने को कैसे बचाना
 हमलावर कातिल से |
आशा

01 मई, 2019

निष्ठा

                                   चाहत है जो कार्य लूं हाथ में 
पूरी निष्ठा से पूर्ण करूँ
 सारा जीवन अर्पित करूँ
देश हित के लिए|
हूँ समर्पित पूरी निष्ठा से
नहीं किसी के बहकावे में
ना ही अन्धानुकरण कर के
किया है  वादा खुद से|
लगन ऐसी लगी है अब तो
जब तक कार्य पूर्ण न होगा
चैन न लूंगी तब तक|
कर्तव्य पूर्ति  की लालसा
हुई जागृत जब से
अपने अधिकार  भूली तब से
सारी निष्ठा की समर्पित
देश की उन्नति  के लिए|
जान की भी परवाह नहीं है
सफलता हाथ लगेगी जब
पूरी लगन से होगा  समर्पण
 अपने कार्य के लिए  |
आशा

30 अप्रैल, 2019

कार्य सभी पूर्ण करने हैं

भोर होती है शाम होती है
रात यूँ ही गुजर जाती है
कुछ करो या नहीं
जिन्दगी यूँ ही तमाम होती है |
व्यर्थ है यूँ ही जीना
केवल अकारथ 
                                                   जीवन का बोझ ढ़ोना |
                                                  जब बुद्धि साथ छोड़ जाए
                                                    जीवन बोझ हो जाए
                                                        क्या फ़ायदा
                                                         ऐसे जीने का |
                                                    खुद से  प्रेम ना कभी किया
                                                 ना ही कुछ आनंद लिया
                                                    तब भी लालसा रही
                                               कुछ वक्त और मिल जाए
                                             अभी तो कई काम बाक़ी हैं |
                                               जब तक पूर्ण न हों सभी
                                     जीने का अरमां अभी बाक़ी है 
                                                 है यही कामना मेरी
                                              कोई अधूरा काम न छूटे|
                                        यदि सोचा हुआ सब पूर्ण हुआ
                                           प्रभु का सानिध्य पा 
                                              हो कर भक्ति में लीन 
                                           जीवन सफल हो जाएगा |

                                                      आशा

28 अप्रैल, 2019

हजारों यूँ ही मर जाते हैं



  रूप तुम्हारा महका महका
जिस्म बना संदल सा
क्या समा बंधता  है 
जब तुम गुजरती हो उधर  से |
हजारों यूँ ही मर जाते हैं
 तुम्हारे मुस्कुराने से
जब भी निगाहों के वार चलाती हो
 परदे की ओट से|
 देती हो जुम्बिश हलकी सी जब
 अपनी काकुल को
उसका कम्पन  और
 लव पर आती सहज  मुस्कान
  निगाहों के वार देने लगते 
सन्देश जो रहा अनकहा|
कहने की शक्ति मन में छिपे
 शब्दों की हुई खोखली
फिर भी हजारों  मर जाते हैं
 तुम्हारे मुस्कुराने से |
इन अदाओं पर
 लाख पहरा लगा हो 
कठिन परिक्षा से गुजर जाते हैं 
बहुत सरलता से |

आशा

25 अप्रैल, 2019

मन खिन्न हुआ




  मन खिन्न हुआ दिल टूट गया
थी  जो अपेक्षा   उस पर खरे न उतरे 
जाने कितने अहसान कियेपर जताना कभी नहीं भूले
संख्या इतनी बढ़ी कि भार सहन ना हो पाया
बेरंग ज़िंदगी का एक और रूप नज़र आया
कहने को  सब कुछ है पर कहीं न कहीं अंतर है
छोटी-छोटी बातों से किरच-किरच हो दिल बिखर गया
गहरे सोच में डूब गया
 वेदना ने दिये ज़ख्म ऐसे नासूर बनते देर न लगी
अब कोई दवा काम नहीं करती दुआ बेअसर रहती
अश्रु भी सूख गये अब तो पर आँखे विश्राम नहीं करतीं 
वेदना इतनी गहरी कि रूठा मन शांत नहीं होता
है इन्तजार उस परम सत्य का
जब काया पञ्च तत्व में विलीन होगी
झूठी माया व्यर्थ का मोह सभी से मुक्ति मिल पायेगी
वेदना तभी समाप्त हो पाएगी |
                            आशा

17 अप्रैल, 2019

क्या अच्छा क्या नहीं ?


-
यदि हर सपना अच्छा होता तब
सभी देखना पसंद करते
पर भयावह स्वप्न बड़े 
कष्टकर लगते |
हर बात पर वाहवाही मिले
आवश्यक नहीं
पर सही बात पर प्रशस्ति
है परमावश्यक |
मन की मन से बात
हुई अच्छा लगा
गिले शिकवे दूर हुए
मिलने की इच्छा पूर्ण हुई
यत्न हुए सफल अच्छा लगा |
प्यार के बदले में
कुछ ना चाहिए
अनायास यदि मिल जाए
मनभावन सपना लगा |
आशा

क्या होना चाहिए क्या नहीं ?



 हर बात  का बतंगड़ बनाना
तूल देना ना  चाहिए
मन में हो श्रद्धा यदि 
जग जाहिर होना चाहिए
दिखावे से क्या लाभ
ऊपर वाला सब देख रहा है
कपट मन का
 उजागर होना चाहिए
सत्य किसी से छिपता नहीं
स्पष्ट चहरे पर दिखाई देता
आइना नैनों का
 सारी पोल खोल देता
चालबाजी से क्या लाभ
कभी तो सामने आएगी
तब कोई भी  हल
 न मिल पाएगा
पहले से सतर्क रहना  चाहिए
अपशब्दों से क्या लाभ
मन में संतुलन होना चाहिए
प्यार से प्यार मिलता
कटुता नहीं फैलती
सुसंस्कृत भाषा का प्रयोग
उपयोग में होना चाहिए 
किसी को ताना देना 
 प्रत्यारोप सहन करने का  
अवसर मिलना ना चाहिए |


आशा

16 अप्रैल, 2019

आमराई में कैरी से लदा वृक्ष

कोयल की कुहू कुहू ने 
ध्यान मेरा भंग किया
 लगा कोई बुला रहा है 
बाहर झांका देखा देखती ही रह गई 
न जाने कब पेड़ लदा कच्ची केरियों से 
अपनी उलझनों से बाहर निकल कर 
जब भी झांकती हूँ खिड़की से बाहर 
कुछ परिवर्तन होते दीखते हैं  अमराई में
कल को आम बौराया था 
आज फूलों में फल लगे हैं 
वह भी कोई कच्चे कोई अधपके  पीले
देख खाने को मन ललचाया 
इधर उधर देखा भाला
एक पत्थर डाली पर मारा 
पर निशाना चूक गया  
दूसरे निशाने  की तैयारी की
 पर मन में शंका जागी 
कहीं किसी को लग गई तब
घर बैठे मुसीबत आ जाएगी 
मन मारा  माली का किया इन्तजार
पर निष्ठुर ने एक न  सुनी मेरी
कहा बीमारी और बढ़ जाएगी 
क्या लाभ खटाई खाने का 
ललचाई निगाहों से 
मन मार देखती रही
 कैरी से लदे उस  वृक्ष  को
सोचा कोई बात नहीं 
  हम देख कर ही 
मन में  भाव भर लेंगे संतुष्टि का
हर सामग्री यदि
 उपलब्ध होगी जीवन में 
प्रलोभन शब्द ही नहीं रहेगा 
जिन्दगी के शब्द कोष  में |
आशा