मौसम बड़ा बेईमान हो गया
अपनी मनमानी करने लगा है
वर्षा का क्या कोई ईमान नहीं
चाहे अनचाहे दस्तक देती है |
हरी भरी फसल जमीन पर पसरी है
सारी मह++नत विफल हुई है
सुरमई बादलों को
जब देखा आसमान में |
गरजते बरसते नहला जाते हैं
बेमौसम उत्पात मचा जाते है
मौसम का मिजाज बदल रहा है
वे सर्दी और बढ़ा जाते हैं |
आशा