हूँ एक ऐसा अभागा
दुनिया ने ठुकराया जिसे
वे भी अपने न हुए
विश्वास था जिन पर कभी
सफलता कभी हाथ नहीं आई
असफलता ने ही माथा चूमा
साया तक साथ छोड़ गया
तपती धूप में जब खड़ा पाया
कभी सोचा है भाग्य ही खराब
हर असफलता पर कोसा उसे
जो दुनिया रास नहीं आई
बार-बार धिक्कारा उसे
मेरी बदनसीबी पर
चन्द्रमा तक रोया
प्रातः काल उठते ही
पत्तियों पर आँसू उसके दिखे
चाँदनी तक भरती सिसकियाँ
बादलों की ओट से
फिर भी जी रहा हूँ
ले लगन ओर विश्वास साथ
साहस अभी भी बाकी है
आशा की किरण देती दिखाई
सफल भी होना चाहां
पर इतना अवश्य जान गया हूँ
है दुनिया एक छलावा
वह किसी की नहीं होती
जब भी बुरा समय आये
वह साथ नहीं देती |
आशा