मंदिर गए मस्जित गए
और गिरजाघर गए
गुरुद्वारे में मत्था टेका
चादर चढाई मजार पर |
कई मन्नतें मानीं
कुछ इच्छाएं पूरी हुईं
कई अधूरी रह गईं
तब अंतर मन ने कहा
है यह विश्वास मन का
ना कि अंध विश्वास किसी धर्म का
होता वही है
जो है विधान विधि का |
क्या अच्छा और क्या बुरा
,हर व्यक्ति जानता है
फिर भी भटकाव रहता है
सब के मन में |
जान कर भी जानना नहीं चाहता
अनजान बना रहता है
,मन की शान्ति खोजता है
जिसका मन होता स्वच्छ और निर्मल
वह उसके बहुत करीब होता है |
जब आख़िरी दिन होगा
हर बात का हिसाब होगा
सब कर्मों का लेखा जोखा
यहीं दिखाई दे जाएगा |
आशा