गहरा प्रभाव था चल चित्रों का मुझ पर
चेहरे पर चमक आ जाती थी आइना देख कर |
चस्का हीरो बनाने का इस तरह हावी हुआ
आगा पीछा कुछ ना देखा मुम्बई का रुख किया |
सुबह हुई आँख खुली खुद को स्टेशन पर पाया
मुंह धोने नल तक पहुंचा कोई बैग उठा कर चल दिया|
ना तो थे पैसे पास में ना ही ठिकाना रहने का
बस देख रहा था सड़क पर आती जाती गाड़ियों को |
अचानक एक गाड़ी रुकी इशारे से पास बुलाया
कहा क्या घर से भाग आए हो, कुछ काम करना चाहते हो |
कुछ करना हो तो मुझ से मिलना ,मैंने जैसे ही सिर हिलाया
स्वीकृति समझ पता बताया, और आगे चल दिया |
वहाँ पहुंच कर देखा मैंने , कोई शूटिग चल रही थी
भीड़ की आवश्यकता थी ,उत्सुकता मेरी भी कम न थी |
मिलते ही कुछ प्रश्न किये ,देखा परखा और शामिल कर लिया
शूटिग समाप्त होते ही ,कुछ रुपए दे चलता किया |
थकान बहुत थी , फुटपाथ पर ही सो गया
था बड़ा अजीब शहर ,वहाँ सोने के पैसे भी मांग लिए |
अब मेरी यही दिनचर्या थी, दिन भर भटकता था
कभी काम मिल जाता था कभी भूखा ही सो जाता था |
चेहरे का नूर उतरने लगा ,नियमित काम न मिल पाया
बॉलिवुड की सच्चाई ,पहचान नहीं पाया |
बापिसी की हिम्मत जुटा नहीं पाया
क्या खोया क्या पाया आकलन ना कर पाया |
अब तक हीरो बनाने का भूत भी पूरा उतर गया था
अपनी भूल समझ गया था ,सपनों से बाहर आ गया था |
एक दिन बड़े भाई आए जबरन घर बापिस लाए
आज अपने परिवार में रहता हूँ छोटी सी नौकरी करता हूँ |
जब भी वे दिन याद आते है ,लगता है मैं कितना गलत था
केवल सपनों में जीता था वास्तविकता से था दूर |
थी वह सबसे बड़ी भूल ,जो आज भी सालती है
चमक दमक की दुनिया की सच्चाई कुछ और होती है |