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जगत एक मैदान खेल का
हार जीत होती रहती
जीतते जीतते कभी
पराजय का मुंह देखते
विपरीत स्थिति में कभी होते
विजय का जश्न मनाते |
राजा को रंक होते देखा
रंक कभी राजा होता
विधि का विधान सुनिश्चित होता
छूता कोई व्योम की ऊंचाई
किसी के हाथ असफलता आई |
प्रयत्न है सफलता की कुंजी
पर मिलेगा कितना
होता सब पूर्व नियोजित
उसी ओर खिंचता जाता
प्रारब्ध उसे जहां ले जाता
कठपुतली सा नाचता
भाग्य नचाने वाला होता
हो जाती बुद्धि भी वैसी
जैसा ऊपर वाला चाहता|
कभी जीत का साथ देता
कभी हार अनुभव करवाता
मिटाए नहीं मिटतीं
लकीरें हाथ की
श्वासों की गति तीव्र होती
एकाएक धीमी हो जाती
कभी थम भी जाती
जन्म से मृत्यु तक \
सब पूर्व नियोजित होता
हर सांस का हिसाब होता
उसका लेखा जोखा होता
शायद यही प्रारब्ध होता |
आशा