रहती निष्प्रह नितांत अकेली
दिखती मितभाषी
स्मित मुस्कान बिखेरती
उदासी फिर भी छाई रहती
उससे अलग न हो पाती
पर सबब उदासी का
किसी से न बांटती
जब भी मन टटोलना चाहा
शब्द अधरों तकआकार रुक जाते
अश्रुओं के आवेगा में खो जाते
असहज हो अपने आप में खो जाती
फिर भी हर बात उसकी
अपनी और आकृष्ट करती
कई विचार आते जाते
पर निष्कर्ष तक न पहुच पाते
एक दिन वह चली गयी
संपर्क सूत्र तब भी ना टूटे
समाज सेवा ध्येय बनाया
पूरी निष्ठा सेअपनाया
व्यस्तता बढती गयी
उदासी फिर भी न गयी
वह दुनिया भी छोड़ गयी
कोइ उसे समझ ना पाया
क्या चाहती थी जान न पाया
था क्या राज उदासी का
समझ नहीं पाया
राज राज ही रह गया
उसी के साथ चला गया |
आशा
उदासी फिर भी छाई रहती
उससे अलग न हो पाती
पर सबब उदासी का
किसी से न बांटती
जब भी मन टटोलना चाहा
शब्द अधरों तकआकार रुक जाते
अश्रुओं के आवेगा में खो जाते
असहज हो अपने आप में खो जाती
फिर भी हर बात उसकी
अपनी और आकृष्ट करती
कई विचार आते जाते
पर निष्कर्ष तक न पहुच पाते
एक दिन वह चली गयी
संपर्क सूत्र तब भी ना टूटे
समाज सेवा ध्येय बनाया
पूरी निष्ठा सेअपनाया
व्यस्तता बढती गयी
उदासी फिर भी न गयी
वह दुनिया भी छोड़ गयी
कोइ उसे समझ ना पाया
क्या चाहती थी जान न पाया
था क्या राज उदासी का
समझ नहीं पाया
राज राज ही रह गया
उसी के साथ चला गया |
आशा