कई बार विचारों में उलझी
पग आगे बढाए पर
हिचकिचाए
थम गए एक मोड
पर अकारण
उलझन बढ़ी आशंका
जन्मी
कहीं कोइ
अनर्थ न हो जाए
मन पर से
जाला झटका
मार्ग
प्रशस्त किया अपना
पर बिल्ली
राह काट गयी
झुक कर एक
पत्थर उठाया
आगे फेंक आगे
बढ़ी
एकाएक छींक आ गयी
एकाएक छींक आ गयी
शुभ अशुभ के
चक्र में फसी
अनजाना भय हावी हुआ
मन को बार
बार समझाया
पर वह स्थिर
न हो पाया
सोचा बापिस लौट चलूँ
फिर खुद पर
ही हंसी आई
इतना पढना
व्यर्थ लगा
यदि वहम से
न बच पाई
मन कडा कर चल पड़ीं
मन कडा कर चल पड़ीं
बेखौफ मंजिल
तक पहुँची
अंधविश्वास से ना घिरी |
अंधविश्वास से ना घिरी |
आशा