मन में घुटन भरता
अहसास एकाकीपन का
बेचैन कर जाता |
जब भी होता शोर शराबा
मन स्थिर ना रहता
कोलाहल सहन न होता
मन चंचल होता |
है यह कैसी रिक्तता
स्वनिर्मित ही सही
चंचल मन की हलचल
उसे मिटने भी नहीं देती |
दोराहे पर खड़ी मैं सोचती
क्या करू ? कैसे रहूँ ?
यदि मौन रह सुकून मिलता
शायद मुखर कोई न होता |
शोर सहन नहीं होता
एकाकीपन मन को डसता
दुविधा में मन रहता
कुछ करने का मन ना होता
खोजती हूँ शान्ति
जो बाहर नहीं मिलती
तब सन्नाटा अच्छा लगता
मन विचलित नहीं होता
दुविधा का शमन होता |
आशा