याद है मुझे
वह अमूल्य पल
जब तुम सी बेटी पा
अपना भाग्य सराहा |
किलकारियां गूंजी
धर के आँगन में
महकी क्यारी क्यारी
प्यार के उपवन में |
स्नेह तुम पर लुटाया
हर लम्हा जिया
खुशियाँ दामन में न समातीं
तुम्हारी प्रगति देख
वही प्यार की ऊष्मा
अब भी कम नहीं
तुम से दूर न रह पाती
उदासी गहन छाती |
पहले तुम नन्हीं सी थीं
रिश्तों के कई पड़ाव
पार करते करते
अब दादी भी बन गयी हो
पर आज भी वैसी ही
हो मेरा नजर में |
है आशीष तुम्हें दिल से
फलो फूलो प्रसन्ना रहो
आगे अपने कदम बढाओ
अपना मार्ग प्रशस्त करो |
उन्नति का शिखर चूमो
बाधाओं का करो सामना
हार कभी ना मानो उनसे
वैभव कदम चूमें तुम्हारे
जीवन जियो सफलतम |
आशा