ममता की छाँव में
परवान चढ़ पल्लवित होता
प्यारा सा भोला सा बचपन
माँ के दुलार में खोया रहता
कुंद के पुष्प सा महकता
मीठी लोरी सुनता बचपन |
प्यार भरी थपकिया पा
चुपके सेआँखें मूंदता
सोने का नाटक करता
फिर धीरे से अँखियाँ खोल
माँ को बुद्धू बनाता बचपन |
सोने का नाटक करता
फिर धीरे से अँखियाँ खोल
माँ को बुद्धू बनाता बचपन |
मधुर मुस्कानअधरों पर ला
मीठी मीठी बातों से
मीठी मीठी बातों से
सारी थकान मिटाता
अपना प्यार जताता
माँ का सबसे प्यारा बैभव |
कभी कभी गुस्सा करता
रूठता मनमानी करता
जब तक बात पूरी ना हो
रो रो घर सर पर उठाता
पर जल्दी से मन भी जाता
बहता निर्मल धारा सा |
बेटी हो या बेटा
शैशव तो शैशव ठहरा
कोई फर्क नहीं पड़ता
आँगन में कुहुकता
माँ का प्यार बांटता
उसका आँचल थाम
ठुमक ठुमक चलता बचपन |
आशा |
माँ का सबसे प्यारा बैभव |
कभी कभी गुस्सा करता
रूठता मनमानी करता
जब तक बात पूरी ना हो
रो रो घर सर पर उठाता
पर जल्दी से मन भी जाता
बहता निर्मल धारा सा |
बेटी हो या बेटा
शैशव तो शैशव ठहरा
कोई फर्क नहीं पड़ता
आँगन में कुहुकता
माँ का प्यार बांटता
उसका आँचल थाम
ठुमक ठुमक चलता बचपन |
आशा |