जीवन एक झरने सा बहता
कल कल निनाद करता
बाधाएं अटल चट्टान सी
मार्ग में मिलतीं
टकराता राह बदलता
पर विचलित ना होता
निर्वाध गति से आगे बढ़ता
मार्ग की हर बाधा से
हो सहष्णु समझौता करता
मन मुदित होता जब कोइ आता
अपने मनोभाव जताता
सुख दुःख मुझसे सांझा करता
अटूट बंधन प्रेम का
मेरे उसके बीच का
और प्रगाढ़ होता
मन वीणा का तार
अधिक झंकृत होता
प्रगति पथ पर बढ़ने की
बार बार प्रेरणा देता
मैं निर्झर निर्मल
शब्द प्रपात हो रहता |
आशा