है मनोकामना
हर उस पल को जीने की
जब होते थे साथ
कोई तीसरा नहीं
एक अजीब सा अहसास
अब मेरा पीछा करता
ले आता समक्ष तेरे
और हो जाती
मग्न तुझमें |
मुस्कान तेरी
बनती बैसाखी
मेरे अंतर मन की
मैं खो जाती तुझ में
और तेरी यादों में
बीते पलों के वादों में|
भर जाती स्फूर्ति से
होती व्यस्त वर्तमान में
ओढे गए कर्तव्यों में |
आशा
हर उस पल को जीने की
जब होते थे साथ
कोई तीसरा नहीं
एक अजीब सा अहसास
अब मेरा पीछा करता
ले आता समक्ष तेरे
और हो जाती
मग्न तुझमें |
मुस्कान तेरी
बनती बैसाखी
मेरे अंतर मन की
मैं खो जाती तुझ में
और तेरी यादों में
बीते पलों के वादों में|
भर जाती स्फूर्ति से
होती व्यस्त वर्तमान में
ओढे गए कर्तव्यों में |
आशा