कहीं मन में दुविधा न थी
उत्साह था जूनून था
पार उतर ही जाएंगे
दृढ़ता लिए विचार था
यही सोच पर्याप्त रहा |
डाली कश्ती तभी अपनी
उत्साह था जूनून था
पार उतर ही जाएंगे
दृढ़ता लिए विचार था
यही सोच पर्याप्त रहा |
डाली कश्ती तभी अपनी
इतने बड़े भव सागर में
हमें तूफान क्या डराएगा
हस्ती हमारी देख कर
खुद ही शांत हो जाएगा |
हमने कण कण देखा
हमने कण कण देखा
हर संकट से दो चार हुए
मझधार में फंसे तो क्या
पार उतर ही जाएंगे
जब जीवन से नहीं हारे
जब जीवन से नहीं हारे
हमें तूफान क्या डराएगा |
आशा