20 जून, 2016

पक्षी

koyal aur aam kaa ped के लिए चित्र परिणाम

आवाज सुन कर कोयल की
बागों में चले आये थे
गौर से जब ऊपर देखा
बौर आम पर आए थे
हिलती टहनियां देखीं
कोयल की कुहू कुहू सुनी
मौसम बदलने लगा है
पक्षी यही जताने आये थे |
मंद मंद बयार चली
मयूर की थिरकन बढी
देखी व्योम में काली घटाएं
वर्षा की संभावना जगी
अपने मधुर स्वर से मयूर ने
उसके आने  का आगाज किया |
पक्षी  सयाने संकेत देने आते
मौसम बदल रहा है
यही जताने आते |


आशा

18 जून, 2016

वह सोचती



-
खिड़की के भीतर झांकती
फिर सोच में डूबी डूबी सी
धीरे से कदम पीछे हटाती
यह मेरा नहीं है न कभी होगा
कमरा है भैया का उसी का रहेगा |






khidki se jhankti ladki के लिए चित्र परिणाम

हाईकू


तपता  सूरज के लिए चित्र परिणाम
तपता सूर्य
बदहाल करे है
जीने न देता |

जलते पैर
दोपहर धूप में
कैसे निकलें |

बिन बदरा 
जल की है फुहार 
राहत मिली |
कारे बदरा 
झूम झूम बरसों 
इंतज़ार है |

 नील गगन 
बादल बिन जल 
त्राहि त्राहि है |

चला फब्वारा 
आभास है वर्षा का 
मन प्रसन्न |
 

आशा

15 जून, 2016

अरे यह क्या ?

मुंह पर पट्टी के लिए चित्र परिणाम

अरे यह क्या ?
हैयहाँ अपार शान्ति
अंतर से उपजी या थोपी गई
कारण जान न पाए
मुंह पर लगी पट्टिका का
राज  समझ न पाए
यह तभी पता चलेगा जब
उसे बोलने का
अवसर मिलेगा
मुंह पर से पट्टिका हटेगी
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होगी
इस मौन के पीछे कहीं
कोई तो कारण होगा
है यह स्वनिर्मित या सुझाया गया
कटु भाषण से बचने के लिए या
आरोप प्रत्यारोपों से
खुद को अलग रखने के लिए
उत्सुकता अवश्य है जानने की
कि मुंह पर यह पट्टिका किस लिए
कहीं ऐसा तो नहीं
हो वाणी पर संयम नहीं
पर सब तभी पता चलेगा
जब silenceकी पट्टी
मुंह से उतरेगी
उसकी वाणी मुखर होगी |
आशा



13 जून, 2016

रक्त दान महादान


रक्त दान महादान के लिए चित्र परिणाम
बेटी को चोट लगी
मां की आँखें छलकीं
बेटे का जब रक्त बहा
मन पिता का बेहाल हुआ
है यह रिश्ता खून का
ना कि किसी पर थोपा गया
कुछ रिश्ते मिलते समाज से
वे कभी सतही होते
कभी प्रगाढ़ भी होते
लोग वही भाग्यशाली होते
निरोगी काया पाते
इनके रिश्ते होते
अच्छी आदतों से
पर कुछ रिश्ते होते अनाम
जो रक्त दान से बनते
जिसको रक्त मिल पाता
अपने जीवन रक्षक को
दिल से दुआएं देता
जीवन भर अहसान मानता
रक्त दान से मिले रिश्ते को
सबसे ऊपर मानता |

आशा

09 जून, 2016

हाईकू


१-
सुख मन का
अब आए कहँ से
दुखी दुनिया |
२-
वीरान क्षेत्र
सुनसान सडकें
कुम्भ समाप्त |
३-
सर्पिलाकार
जीवन की डगर
चला जाए ना |
४-
यह जिन्दगी
सेज नहीं फूलों की
है काटों भरी |
५-
नया खिवैया
नौका मझधार में
पार लगे ना |
६-
उनका दुःख
अपना लगता है
हम साया हैं |


आशा





06 जून, 2016

तेवर




ना दिखा तेवर अपने
क्या हम ही मिले थे
सबसे पहले
तेरी नाराजगी
ज़रा सी बात पर
शराफ़त तक भूली
लाल पीली होने लगी
बिना बात की बात पर
यह कैसा व्यबहार तेरा
संयम अपना खो कर
सारी हदें पार कर
बातों को तूल देने लगती
हर वक्त की किचकिच
यह नाराजगी
घर को घर न रहने देती
मन संतप्त कर देती
हमें तो प्यारी लगती है
मुस्कान भरी चितवन तेरी
आगे से तेवर अपने
न दिखाना मुझ को
प्यार भरे दिल की सौगात
ही बहुत है मेरे लिए |
आशा