10 नवंबर, 2019

कभी सोचा नहीं


 

मैंने कभी सोचा नहीं
खुद के बारे में
समय ही नहीं मिला
सब का कार्य करने में |
जिन्दगी हुई बोझ अब तो
चन्द घड़ियाँ रही शेष
अकर्मण्य हुई अब तो
अब सोचना है व्यर्थ |
अब जीती हूँ
पुरानी यादे सहेजे
अभी भी खाली नहीं हूँ |
सोचकर देखा है बहुत
पर कोई फर्क नहीं पड़ता
किसी को जताने में
कि मेरा समय ही
मेरी उपलब्धि है |
आशा

05 नवंबर, 2019

है मौन का अर्थ क्या ?



तुम मौन हो
निगाहें झुकी हैं
थरथराते अधर
कुछ कहना चाहते हैं |
प्रयत्न इतना किस लिए
मैं गैर तो नहीं
सुख दुःख का साथी हूँ
हम सफर हूँ |
दो मीठे बोल यदि ना बोले
सीपी से सम्पुट ना खोले
तब तो ये अमूल्य पल
यूं ही बीत जाएंगे |
मैं समझ नहीं पाता
मौन की भाषा
कुछ सोच रहा हूँ
चूडियों की खनक सुन |
है शायद यह अंदाज
प्यार जताने का
फिर भी दुविधा में हूँ
है मौन का अर्थ क्या |
आशा

27 अक्तूबर, 2019

दीपावली की शुभ कामनाएं


दीपावली की शुभ कामनाएं आप सब को |


दीवाली के अवसर पर    
खुशरंग दिए झिलमिल झिलमिल करते
है सालों साल का त्यौहार
हो रहा लक्ष्मीं जी का आगमन
सभी जन अपार प्रसन्न होते  |
आशा

26 अक्तूबर, 2019

दिवाली


25 अक्तूबर, 2019

है अमावस की रात



है अमावस की रात अंधेरी
  दीपक तुम  राह दिखाओ
भटके हुए  राहगीर को
गंतव्य तक पहुँचाओ |
 झिलमिल झिलमिल   जगमगाओ 
तम का ध्यान न मन में लाओ
है अन्धकार  तुम्हारे नीचे भी
उस से भी  अवधान हटाओ |
एकाग्र चित्त हो कर
करो  कर्तव्य पूर्ण  अपना
 स्नेह और  बाती से मिलकर
अन्धकार  दूर करो हवा के बेग से नहीं डरो |
अधिकार तुम्हारा है क्या यह न सोचो
परहित के लिए जीवन उत्सर्ग करो
अजनवियों  को राह दिखाओ
 उनका मार्ग प्रशस्त करो  |
आशा 

23 अक्तूबर, 2019

हो तुम मेरा सम्बल





                                  हो तुम मेरा सम्बल
अकेली नहीं हूँ मैं
जो भी  हैं मेरे साथ
सब हैं अलग अलग
पर मकसद सब का एक
एक साथ मिलकर
देते हर काम को अंजाम
कोई नहीं ऐसा 
जो उससे मुंह फेरे
उन सब का मनोबल
 टूटा नहीं है
आशा  पर टिके हैं
है आत्मविश्वास का साथ
 तुम्हारे हाथों का
 संबल भी तो है
सफलता पाने के लिए
सर पर हाथ तुम्हारा
 पूरा भी तो है |
आशा

20 अक्तूबर, 2019

कोई चाहत नहीं है


कोई चाहत नहीं है अब तो
चाहा नहीं कुछ किसी से
जी जी के मरने से है बेहतर
वे दोचार दिन खुशहाल जिन्दगी के |
उन लम्हों में खो जाने के लिए
है जिन्दगी बहुत छोटी सी
किस पल सिमट जाए नहीं जानती |
जी भर कर पल दो पल खुश होंने के लिए
सपनों से लिपट कर सोने के लिए
उन पलों में मन की बातें करने के लिए
छोटी छोटी बातों के निदान के लिए |
दो चार दिन हैं बहुत खुशहाल जिन्दगी के
पलक झपकते ही बीत जाएंगे
रह जाएगा यादों का जखीरा रात ढलते ढलते
हैं दो चार दिन खुशहाल जिन्दगी के |
                                                                                आशा