बीता कल यादों में सिमटा
आनेवाले कल का कोई पता नहीं
तब किया वर्तमान में जीने का विचार
हर पल है वेश कीमती |
वर्तमान भी बहुत बड़ा है
जाने कब क्या हो जाए
मैं नहीं जानती जानना भी नहीं चाहती
मुझे इस पल मैं ही जीना है |
सारे स्वप्न पूर्ण करने हैं
कहीं अधूरे न रह जाएं
बहुत अरमां से जिन्हीं सजाया
कहीं हाथों से फिसल ना जाएं |
जाने कब आस का पंछी
पंख फैला कर नीलाम्बर में
किस ओर उड़ कर जाएगा
नहीं जान पाई अब तक |
मुझे मार्ग भी खोजना है
क्या किया है? क्या करना है ?
पल बहुत छोटा है
पलक
झपकते ही गुम हो जाएगा |
जो अरमां सजाए हैं
पूर्ण उन्हें किस प्रकार करूँ
है बहुत जल्दी मार्ग खोजने की
पर ईश्वर के हाथ है सब कुछ
वही उलझन सुलझाएगा |
आशा