बहनों ने किया सिंगार
हाथ सजाए मेंहदी से
पैरों में लगा कर आलता
है इन्तजार बड़ी उत्सुकता
से |
माँ ने बड़े प्यार से बुलाया है
है रक्षा बंधन का त्यौहार
भइया लेने आने वाला है
आँगन में झूला डलवाया नीम की डाली पर
लकड़ी की पट्टी मंगवाई बीकानेर से |
साड़ी सतरंगी लहरिये की लाया भाई
जयपुर के बाजार से
मां ने लगाया गोटा उसमें बड़े
प्यार से
हरी कांच की चूड़ियाँ लाई निखार कलाई में |
हुई तैयार बहना बांधने को रक्षासूत्र
बांधी राखी और दीं दुआएं भर पूर
रोली चावल से लगाया टीका
करवाया मुंह मीठा फेनी घेवर से |
भाई ने झुक कर
छुए पैर चाहा आशीष जीजी से
बहन नें की कामना
भाई की दीर्घ आयु की |
सारे दिन गहमागहमी रही झूले पर
आनेजाने वाली सखी सहेलियों की
कब सांझ हुई पता ही नहीं चला
ऐसे मना त्यौहार राखी का |
आशा
आशा