13 अगस्त, 2020

आत्मनिर्भरता


है वह  बहुत खुशनसीब कि
 तुमने साथ उसका हर कदम पर दिया है
उसे  आत्म निर्भर बनाने का
 तुमने बीड़ा उठा उसे  संबल दिया है |
हर कार्य जो कठिन लगता था कभी  
सरलतम हल निकाल दिया जाता 
सफलता को छूने का मार्ग दिखा  
उसका  मनोबल बढ़ाया  जाता था  |
 जब कदम उसने कठोर धरा पर रखे   
  है आत्म निर्भरता का  महत्व क्या?
  अब हुआ एहसास हुई जब वह  आत्मनिर्भर 
 सफल जीवन जीने के राज का हल  निकला है |
हो जब आत्मनिर्भर कोई भी समस्या आए
घबराहट से कोसों दूर रह जीने की ललक जागे
आत्मबल जाग्रत हो गर्व से सर उन्नत हो
कठिनाई छूने का नाम न ले  
 कोसों दूर  भागे |
आशा
  

11 अगस्त, 2020

बादल





इधर उधर से आए बादल
आसमान में छाए बादल
आसमां हुआ स्याह
घन घोर घटाएं छाई  है | 
जब बदरा हुए इकट्ठे
 गरजे तरजे टकराए आपस में 
टकराने से हुआ  शोर जबरदस्त 
विद्द्युत कौंधी  रौशनी फैली गगन में |
मोर ने पंख फैलाए किया नृत्य     
मोरनी को रिझाने को
दादुर मोर पपीहा बोले
कोयल ने तान सुनाई है
वर्षा की  ऋतु आई है |
जैसे ही जमाबड़ा हुआ बादलों का 
मोटी बड़ी बूँदें टपकीं 
धरती तर बतर हुई
सध्यस्नाना युवती सी खिल गई |
आसमान से टपकी जल की बूँदें
 वृक्षों से टपकी पत्तों में अटकीं
फिर झरझर झरी  ऐसी जैसे 
 धरा की काकुल से उलझ कर आई हैं |
आशा



09 अगस्त, 2020

कैसे निजात पाऊँ


मन भाता कोई नहीं है
 नहीं किसी से प्रीत  
है दुनिया की रीत यही
 हुई बात जब  धन की |
सर्वोपरी जाना इसे
 जब देखा भाला इसे
भूले से गला यदि फंसा
 बचा नहीं पाया उसे |
हुआ  दूभर जीना  भी
 न्योता न आया यम का
बड़ी बेचैनी हुई जब
 जीवन की बेल परवान न चढ़ी |
अधर में लटकी डोर पतंग की
 पेड़ की डाली में अटकी
जब भी झटका दिया
 आगे न बढ़ पाई फटने लगी |  
दुनिया में जीना हुआ मुहाल
 अब और कहाँ जाऊं
कहाँ अपना आशियाना बनाऊँ
 जिसमें खुशी से रह पाऊँ |
मन का बोझ बढ़ता ही जाता
 तनिक भी कम न होता
कैसे इससे निजात पाऊँ 
दिल को हल्का कर पाऊँ |
आशा

07 अगस्त, 2020

आत्मबल में सराबोर


ना पीछे हटी ना ही  मानी हार
रही सदा बिंदास सब के साथ
 खुद को अक्षम नहीं पाया
आत्म बल से  रही सराबोर  सदा |
कभी स्वप्न सजोए थे
 पंख फैला कर उड़ने के
 अम्बर में ऊंचाई  छूने के
वह भी पूरे न हो पाए |
पर  मोर्चा अभी तक छोड़ा नहीं है
हार का कोई कारण नहीं है  
हर बार नए जोश से उठी
पुराने स्वप्न साकार करने हैं  |
भरी हुंकार नए स्वप्न सजोने को
कभी गलतफहमी नहीं पाली
खुद की कार्य क्षमता पर
 मनोबल को बढाया ही है |
हूँ जीत के करीब  इतनी
कभी हार स्वीकारी नहीं है
हूँ खुद के भरोसे पर जीवित  
 इस छोटी सी जिन्दगी में |
आशा