24 जनवरी, 2021
हाईकू
23 जनवरी, 2021
मन में संग्राम छिड़ा है
मन में संग्राम छिड़ा है
समाज में विघटन हुआ है
पर कारण समझ ना आया
समान विचार धारा के लोगों में
आपस में आतंरिक मन मुटाव क्यूँ ?
जब भी बहस होती है
निजी स्वार्थ आपस में टकराते है
यही कारण समझ आता है
आतंरिक कलह का |
पर अक्सर ऐसा भी नहीं होता
कोई कारण नहीं होता बहसबाजी का
यह तो निश्चित होता है
व्यर्थ बहस से कोई हल नहीं निकलता |
पर तिल का ताड़ बनाने में
जो मजा आता है
एक नया समूह
विधटन कारियों का
बन ही जाता है |
यही आदत घर से जन्मती है
पहले घर में जोराजोरी
फिर उसी तरकीब को समाज में
नया रंग दिया जाता है |
अब दो हिस्सों में बट जाने से
नया बखेड़ा प्रारम्भ हो जाता है
मन में तटस्थ भाव नहीं आता
मन के भाव हुए जग जाहिर |
विघटित समाज को मुंह चिढाते
कमजोरियों से विरोधी लाभ लेते
जो भी एकता की बात करता
हंसी का पात्र बन जाता |
आशा
शिक्षा एक विचार
03 सितंबर, 2012
शिक्षा एक विचार
22 जनवरी, 2021
बहुत दूर से लिए गए कश्मीर घूमने जाते समय के दृश्य
दूसरे दिन होटल की खिड़की से झांक कर देखे झील के दृश्य बहुत सुहाना मौसम था |इतने में बैन वाला हमें पिकअप करने आ गया |सारे दिन घूमें शाम को चार चिनार बोट में बैठ कर गए और छोटे से बागीचे में घूमें |फिर तीसरे दिन कश्मीर के बाहर केसर के खेत देखे |वहां सहकारी बाजार से केशर भी खरीदी |सच में बहुत आनंद आया जन्नत के दृश्य दर्ख कर |लग रहा था कि काश और अवकाश होता |या ये मनोभावन पल मन के कैनवास में उकेर लिए जाते |
आशा
21 जनवरी, 2021
17 जनवरी, 2021
यात्रा विवरण (काश्मीर )
अचानक दृष्टि उस पोटली बाले पर जा
कर टिक गई |यह वही पोटली वाला था |जिससे मैंने सुबह बात की थी |वह इतना व्यस्त था
अपनी पोटली सम्हालने में कि मुझे ताज्जुब हुआ |इतनी बड़ी पोटली कैसे उसने विमान के
अन्दर बैठने के स्थान पर रख ली थी | उसने बताया था कि वह अपना सामन विमान से ही ले
जाता आता है |
बहुत जल्दी ही हम श्री नगर विमान ताल पर पहुँच गए |अपना सामान लिया और बाहर
टेक्सी का इन्तजार कर रहे थे कि एक सज्जन ने आकर पूंछा क्या आप उज्जैन से आए हैं
?बड़ा आश्चर्य हुआ कि यहाँ हमारी जानकारी लने
वाला कौन है |गुड्डी के फेसबुक में
मित्र ने अपने एक मातहत को भेजा था हमें रिसीव करने |उसने डल झील
के सामने होटल में रूम बुक करवा लिया |खिड़की से झील का नजारा
बहुत सुन्दर दीखता था |झील में तैर रहीं मोटर बोट बहुत आकर्षित कर रहीं थीं
|शाम को घूमने का प्लान बनाया पहले दिन होटल से बाहर निकले और पैदल चल दिए झील के
किनारे किनारे |फिर लौट आए
रात्रि का भोजन होटल में ही किया |दूसरे दिन बाहर जाने का मन था |टेक्सी के
आते ही पहल गाँव की ओर जा रहे थे |जितना सुन्दर श्री नगर है वहां के गाँव बहुत ही
गंदे लगे |लोग भी मैले कुचेले कपडे पहने
अपने अपने कामों में व्यस्त थे |दोपहर में पहल गाँव में भोजन किया और घूमा |
यात्रा विवरण -१(वैष्णो देवी )
साथ में बड़ी बेटी और बच्चे थे इस कारण जाने में बहुत सुविधा रही
पर कटरा पहुँचते शाम हो गई थी |थकान बहुत हो गई थी इसलिए रात में होटल में
रुके |दूसरे दिन सुबह पांच बजे देवी दर्शन को जाना था | सुबह की बस पकड़ी और लगभग
दो घंटे बाद हम अपने गंतव्य स्थल पर पहुँच गए |पर बेटी के बड़े बेटे को बुखार आ गया |इसकारण उन लोगों ने
दर्शन का इरादा टाल दिया |वैसे भी वे लोग पहले जा चुके थे |दूसरे दिन प्रातः हम
लोग दर्शन को निकले |पहले सोच रहे थे कि पैदल ही जाएंगे पर थोड़ी दूर चल कर ही थकान
होने लगी |हमने घोड़े पर जाने का मन बनाया |और घुड़सवारी का आनंद लिया भरपूर |लगभग दो घंटे बाद एक
प्रांगण में जा पहुंचे |देखा बहुत लम्बी कतार लगी थी दर्शनार्थियों की |हम भी कतार
में शामिल हो गए |धीरे धीरे आगे बढ़ने लगे |करीब एक घंटा लगा देवी के दर्शन में |पर
जब वहां पहुंचे आधे मिनिट भी रुकने न दिया जिससे दर्शन ठीक से कर पाते |आगे बढ़ो
आगे बढ़ो कहते स्वयंसेवकों ने तो ध्यान से दर्शन
ही नहीं करने दिए |बड़े बेमन से आगे बढे | बहुत जल्दी ही हम फिर से उसी
आँगन में खड़े थे |वहां की खिड़की से प्रसाद लिया और लौट चले |
भैरो मंदिर बहुत ऊंचाई पर था |वहां जाने का इरादा कैंसिल कर दिया |फिर से
घोड़ों पर हुए सवार और नीचे उतर आए |नीचे गुलशन कुमार का स्टाल था उससे कुछ कसेट
खरीदे |लौटते समय बाजार से छिले अखरोट खरीदे | और बापिस होटल में आगये |
आशा