शिवजी की बरात निकली
बहुत धूमधाम से
शिव पार्वती मिलन
हुआ
विधि विधान से |
पार्वती ने पाया था
मनोनुकूल वर
कठिन तपस्या से
तभी नाम हुआ अपर्णा उनका
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रूप अनूप जोड़ी का
देखते नहीं थकते दृग
दर्शन हुए बड़े भाग्य
से |
हर वर्ष मनाया जाता
विवाह उत्सव उनका
शिवरात्रि के रूप में |
बेल पत्र व् पुष्प चढ़ाते
हल्दी कुमकुम दूध चढाते
भोग लगाया जाता
विधि विधान से |
उपवास दिन भर रखते
फल फूल से पेट भरते
भोले नाथ की माला
जपते
बहुत यत्न से |
मन चाहा पाने की
लालसा सदा
रही मन में
वरद हस्त प्रभू का
सर पर हो
सदा
यही रहा मन में
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आशा