20 अक्तूबर, 2021

शरद पूर्णिमा


 


                   ओ शरद पूनम के चाँद

 तुम आए ठंडी हवा के साथ

 मैंने खीर का भोग लगाया है   

अमृत वर्षा के लिए है |

 ऐसी है  क्या बात

मिठास दुगुनी हो जाती

मिलते ही रात्रि में

तुम्हारी चांदनी का  साथ |

जाने कितने  रोगों  का

उपचार है तुम्हारे पास

 तुम हो अदभुद चिकित्सक

उन के जिनने सेवन किया प्रसाद

श्वास जैसे मर्ज के लिए |

 सफल  साहित्यिक आयोजन

किये जाते हर वर्ष

 जब तुम आते

नृत्य निशा भी आयोजित होती आज |

गीतों का आनंद ही कुछ और होता

 तुम्हारी छत्र छाया में

सभी मनोयोग से  हिस्सा लेते

इस आयोजन में |

शरद पूर्णिमा की चमक अनोखी

मन मोह रही है

चंद्रमा की रश्मियाँ झलक रही हैं

मौसम रंगीन हुआ है आज |

आशा

 

 


19 अक्तूबर, 2021

कुनकुनी धुप


 कुनकुनी धूप खिली है वादियों में

रश्मियों ने पैर पसारे घर के आँगन में

प्रातः का मंजर सुहाना हो गया

गीत गाए दिल खोल  परिंदों ने |

व्योम भरा है उड़ते पक्षियों के गुंजन से

अनोखी छटा छाई है लाल सुनहरे अम्बर में

झूमती खेतों में बालियाँ दृश्य मनोरम है

लयबद्ध कलरव उड़ते उडगन का मन को बांधे हैं  |

प्रातः की बेला में जब मंद हवाओं के झोके आए  

 आदित्य चला देशाटन को रथ पर हो कर सवार

 धूप का आनंद उठाते जीव जीवन्त हो जाते

सब कार्यों में व्यस्त हो जाते आगमन भोर का होते ही |

गृहणियां चौके में जातीं वहां का कार्य प्रारम्भ करतीं

 बच्चे भी दौड़े आते हलुए की फरमाइश करते 

जब अल्पाहार करते चहरे पर मुस्कान लिए  

भाव संतुष्टि के आते बड़ा सुकून देते |

आशा 

18 अक्तूबर, 2021

भमर क्यों फूलों पर मंडराते


                       भ्रमर तुम   फूलों  पर क्यों मंडराते

उनके मोह में बंध कर रह जाते

उन पुष्पों में ऐसे बंधते

कभी  बंधन मुक्त न हो पाते |

तुमसे तितलियाँ हैं बुद्धिमान बहुत

पुष्पों से मधु रस का आनंद लेतीं

और दूसरे के पास उड़ जातीं

होती स्वतंत्र  किसी बंधन  में न बंधती |

इतनी मोहक रंगबिरंगी तितलियाँ जब उड़तीं 

सुन्दर छवि हो जाती वहां की

एक फूल से दूसरे पर जाने से

मकरन्ध की सुगंध बगिया में उड़ती |

भवरे तुम काले हो  सुन्दर नहीं 

तितलियों से क्या तुलना करते 

तुम्हारा गुंजन भी नहीं  मधुर  

जब फँसते माली के चंगुल में तब पछताते | 


आशा

16 अक्तूबर, 2021

कोई विधा खोज न पाया




जाने कितने गीत लिखे

बिखरे बिखरे  शब्दों में

कोई विधा खोज न पाया

अभिव्यक्ति के लिए |

बहुत अच्छा लगा

जब किसी ने कहा

वाह क्या गीत है मन मोह लिया

गीत या संगीत दौनों में से कौन

आज तक समझ न पाया |

कोशिश झूटी लगी जानने की

जरूरत क्या है पहचानने की

काम चल ही जाता है

और अधिक की चाह नहीं है |

प्यार से जो मन में आया

वही लिखा  कुछ और नहीं

हर शब्द से जज्बात जुड़े है

कोई बंधन नहीं लिखने के लिए |

स्वतंत्र लेखन भी एक विधा हो जाती

अभिव्यक्ति सफल हो जाती

जब दिल की जरूरत पूर्ण होती

खुश रहने के लिए |

वही सफल लेखक कहलाता

जो अर्थ स्पष्ट कर पाता

अपने लेखन का

उद्देश्य सफल हो जाता लिखने का |

आशा

14 अक्तूबर, 2021

क्या सोचें ?

 


    

कब तक सोचें कितना सोचें

 कोई तो सीमा होगी  इसकी

पर  मस्तिष्क हो रिक्त जब

जीवन अधूरा लगता है |

दिन रात सोचने की बीमारी 

अब आदत सी हो गई है

किसी ने सत्य  कहा है

खाली दिमाग शैतान का घर |

दिल से सोचें अथवा दिमाग से

यादों का सलीब लटकता रहता

बोझ बन कर हर हाल में

 मन  विचलित  करता है | 

कभी सोचकर देखा है क्या ?

यदि हो खाली दिमाग

होगा क्या हश्र हमारा खुद का |

अतीत पीछे भाग रहा  है

कोई बच न पाया इससे

सुख दुःख की सीमा नहीं  है

हर समय अशांति  रहती  है |

कोई तो हल होगा इसका

जब शान्ति जीवन का हिस्सा होगी

 ऐसा होगा जाने कब 

जीवन शैली संतुलित होगी |

आशा

 

क्या आवश्यक सफलता के लिए


 

कितनी शिकायतें सुननी होंगी

उसका अंदाज नहीं है क्या ?

फिर भी कूद रहे  हो बिना तैयारी के  

जिन्दगी के मैदाने जंग में |

कितनी बार सबने समझाया  

पहले सोचो फिर कार्य करो  

यदि दिल दिमाग जाग्रत रखोगे   

कभी न पछतावा होगा  |

 भावुक होना जल्द्बाजी में

 उसी सोच पर कार्य करना

 असफल रहे यदि यत्न न किया

सर न उठा पाओगे  |

 घुटन होगी असफल हो कर तब

कितनी ही बार सोचोगे

पहले ही यदि सोच लिया होता

यह दिन न देखना पड़ता |

आँखें खुली रख जब दिल से सोचोगे

 किसी हद तक सफल रहोगे

दिल का सोच सब सही नहीं होता

यदि प्रतिफल न मिला पछताओगे |

केवल भावनाओं में जीने से

कोई सफल नहीं होता

दिल दिमाग दौनों हैं आवश्यक   

सफलता पाने   के लिए |

साहस के बिना भी कुछ न होगा

प्रयत्न पूरी शिद्दत से करना होगा

इस शिक्षा पर यदि चलोगे तभी सफल होगे

जिन्दगी की कठिन परीक्षा में |

सफलता तुम्हारे कदम चूमेंगी

समाज तुम्हें देगा सम्मान  

गिनी चुनी हस्तियों में होगा नाम 

यथोचित सम्मान तुम पाओगे |

आशा

13 अक्तूबर, 2021

नमन तुम्हें हे जगदम्बे

 




                                      नमन तुम्हें हे जगदम्बे

हर बार तुम्हारे दर पर आई

खाली हाथ कभी न लौटी

 सफल हुई सब कामना मेरी |

हे भगवती माँ शारदे

इसी तरह दरश देना हर वर्ष

वरद हस्त रख सर पर मेरे

देना आशीष मुझे |

मैं कुछ ऐसा कर जाऊं

अपना हित तो सब चाहते

मुझे पर हित की भी हो चिंता 

दो ऐसा वरदान मुझे |

नमन तुम्हें हे माँ दुर्गे

तुम शक्ति की हो प्रतीक

मुझको इतनी शक्ति देना मां

सेवा सब की कर पाऊँ |

आशा