बढ़ता गया
या कोई सलाह नहीं देता |
यदि कोई कुछ कहता भी है
मानने को तैयार न होता
इसी आदत से हूँ लाचार
सब सोचते हैं पर बोलते नहीं |
मैं हूँ परेशान
परेशानी की कोई सीमा नहीं
क्या करें ?
किसी की कही बात पर
ध्यान नहीं देती |
मनमानी की आदत है
जैसी भी है उसी में
मेरा मन उलझा रहता
सोचती रहती हूँ |
सब ख़ुद ही करना चाहती हूँ
गलत हो या सही हो
यदि किसी ने टोक दिया
मुझे सहन नहीं क्या करें ?
आशा