मोहब्बत करूं तुमसे
या तुम्हारी अदाओं से
इस दिखावे भरी दुनिया से
या कि अपने आप से |
अभी निर्धारित कर न पाई
जब से जीवन में बहार आई
कुछ सोचा कुछ समझा
सबसे सरल सबसे सहज
अपनी ओर झुकाव
लगने लगा मुझे
फिर सोचा शायद यह
खुदगरजी तो नहीं |
फिर विचारा मोहब्बत तुमसे
कोई छलावा न हो
या दुनिया का कोई
दिखावा न हो |
बिना सोचे समझे
कूदना इस क्षेत्र में
क्या ठीक होगा ?
तैरना आता नहीं
पार उतरने का स्वप्न
मन में पालना