12 फ़रवरी, 2023

शब्दों का चयन

   किसी के ना सपने सजाए कहाँ जाती 

उसने मना किया वे प्यार न कर सके

तुमने तो समझ लिया है

उसे अपनाने की पेशकस की |

पर वहआगे न बढ़ सकी

वहीं की वहीं रही 

मन की पीड़ा न बांटी 

उसने उसे अपनाया नहीं  

उस भेद को मन में रखा खुद के अंतस में |

वह प्यार और प्रेम में विभेद न कर पाई

 शब्दों का लिवास उनको पहना ना पाई  

   शब्दों का चयन ना कर पाई सिंगार ना किया 

    यहीं उसने मात खाई |

अपने पर क्रोध आया उसे 

कोई रास्ता न सूझा वहीं की वहीं रही  

 दो कदम आगे तक न बढ़ पाई 

यही  उसने मात खाई |

आशा सक्सेना

 


11 फ़रवरी, 2023

हाईकू

१- तुमने उसे

क्या दिया जानते हो 

मन का दुःख

२-ईश्वर कहाँ 

मन में छुप गया 

देख न सकी

३-सबसे प्यारी 

है मुझे मेरी बेटी 

जन्म सफल 

४-प्रभु से पाई 

बड़ी मन्नत बाद 

है नियामत 

५-कविता गीत 

प्यारा संगीत चुना

मन मोहक   

६-कान्हां की बंसी 

मीठी मधुर धुन 

राधा ने सुनी 

७- आज के राज 

छिपे राजनीति में 

मन मैं नहीं 


आशा सक्सेना 



10 फ़रवरी, 2023

उसे क्या मिला




कहा तो यही जाता है 

प्याए दो प्यार मिलेगा 

 यह सच नहीं है पर उसने परिणाम  न सोचा 

वह  आगे कदम बढ़ाकर रोई |

जीवन में कष्टों के सिवाय

उसे  कुछ नहीं मिला 

जो पहले मिठास से भरी  

बाते करते थे उनने ही

 मुंह फेर लिया है   |

वह अब सोचती है 

जो चाहा उसने वही किया 

किसी की सलाह नहीं मानी 

नफा हो या नुकसान 

की मनमानी वहीं वह चूकी |

जो सोचा हुई उससे दूर 

मन का शीशा दरक गया 

 मन को बड़ा कलेश हुआ 

अरे यह क्या हुआ 

उसने ठोकर खाई |

फिर भी देख परिणाम 

सोचा उसे क्या मिला 

यदि पहले ही सतर्क हो जाती

यह दिन न देखना पड़ता 

उसे क्या मिला | 

आशा 


09 फ़रवरी, 2023

मेरी भूल


 


                                                    मेरे भोलेपन ने मुझे धोखे में रखा

प्रगति पथ का गंतव्य मुझे  छूने न दिया

सही  सलाह न दी मुझको 

अपनी मनमानी की मैंने 

किसी का कहा माना नहीं

अपने को सक्षम जाना 

 यही समझने की भूल की मैंने

अपने गंतव्य से बहुत पीछे रही मैं  |

यह देख मुझे बहुत पीड़ा हुई

सोचा क्या भूल हुई मुझसे

सब ने मना किया था

पर मन मानी की मैंने |

किसी कथन की नब्ज न देखी

यदि देखती जान लिया होता

 कि रोग क्या है उसका इलाज क्या है

यही भूल मुझसे हुई |

अब पछताने से क्या लाभ

अपनी भूल का संताप तो सहना होगा

अब ऐसी कोई भूल न हो

खुद से वादा लेना होगा |

समय को हाथों से न फिसलने दूंगी

है वह  बहुत कीमती लौट कर न आएगा  

अपनी भूल समझकर 

आगे कदम बढ़ाना होगा

किसी ने यदि दी सलाह 

 उसका मनन भी करना होगा |

अपना अहम् छोड़ कर

 मनमानी को त्यागकर 

 उसकी बात पर भी ध्यान देना

कोई अपना  गलत सलाह नहीं देगा

अपनी भूल सुधार कर 

         आगे जाना होगा |       

आशा सक्सेना*      *      *      

08 फ़रवरी, 2023

विश्वास है मुझे



कहना है आसान कुछ और लिखो 

मैंने सोचा कोशिश तो करूं

असफल रही तो क्या 

कभी  तो सीख ही जाऊंगी|

 अध्यन करूंगी शब्द कोष देखूंगी

नए शब्दों के अर्थ देखूंगी

उन्हें याद करने की कोशिश में

दिन भर व्यस्त रहूंगी |

कभी तो लिख पाऊंगी

नया लिख पाई अगर असफल न रही         

अपनी सफलता पर मुझे

 जो खुशी मिलेगी उस पर नाज करूंगी |

अपने पर भरोसा है मुझको

सोचे कार्य पूर्ण करने का

खुद की महनत पर विश्वास  है मुझे

पीछे नहीं  हटूंगी |

 

 

  आशा सक्सेना  

07 फ़रवरी, 2023

है जीवन एक पहेली

                                                             सुर सधे न सधे गाना गाना चाहिए

                                                              कोशिश में कमी न होनी चाहिए 

                                                  प्रयत्न करते रहना चाहिए पूरी शिद्दत से 

शिथिलता पानी फेरेगी सभी प्रयत्नों पर |

है जीवन एक जटिल पहेली

 नहीं आसान इसे हल करना

इसको हल करने में

जीवन बीत जाएगा  |

 हल निकले जब  कोई

 खुद को सफल मान लेना

और असफल रहने  पर

 कभी हार न मानना |

फिर से प्रयास रत रहना

सफलता हाथ आते ही

खुद को सक्षम  समझना

 यही एक तरीका है खुश रहने का |

वही सफल है जीवन में

जो असफल होने से नहीं डरे

हार नहीं  माने किसी से

किसी बैसाखी की चाह ना  रहे |

आशा सक्सेना

 

06 फ़रवरी, 2023

क्या कुछ कहा तुमने

क्या कुछ कहा तुमने

 ना ही कुछ सुना उसने

 क्या तुम ही बचे थे

उलझने के लिए |

यह क्या आदत है तुम्हारी  

उसके बिना ना चलने की

राह में झगड़ने की 

कभी समझाया तो होता |

इतनी उम्र होते हुए भी

अपना भलाबुरा न समझा

क्यों व्यर्थ झगड़ते हो

किस बात का बदला लेते हो |

 आज तक समझ ना पाई   

तुम क्या चाहते हो उस से  

सब कुछ तो ले लिया

अब कुछ नहीं रहा शेष |

कैसे समझोगे यह बात

समझा कर हार गई है  

उसने शांति से समझाया

कभी रौद्र रूप भी दिखाया |

तुम वहीं के वहीं रहे

चिकने घड़े की तरह

कोई फर्क नहीं तुममें हुआ

वह हारी सब कह कह कर |

अब तो जीवन ऐसे ही कटेगा

काँटों भरी राह पर चलते

नयनों से नीर बहाते

 कंधा किसी का न मिलेगा

 सांत्वना पाने के लिए   |

जब बाढ़ आ जाएगी

उसमें डूबते उतराते आगे बढ़ेगी

अंत तक कोई सहारा ना होगा

जिसकी मदद ली जा सके |



आशा सक्सेना