१-सोना व चांदी
बहुत कीमती हैं
जेवर बने
२- हर धातु का
अपना महत्व है
वेश कीमती
३-जो चमकता
वो आकर्षक होता
असली नहीं
४- बड़ी मंहगी
किसी ने ना समझा
५- मंहगा सस्ता
१-सोना व चांदी
बहुत कीमती हैं
जेवर बने
२- हर धातु का
अपना महत्व है
वेश कीमती
३-जो चमकता
वो आकर्षक होता
असली नहीं
४- बड़ी मंहगी
किसी ने ना समझा
५- मंहगा सस्ता
फिर से चादर ओढ़ कर सो जाते |पर आज उसने अलमारी खोली और ऊपर से लाल गुलाब के फूल की एक डाली
निकाली उसे सम्हाल कर अपने नेपकिन में छिपाया और गेट पर आ गया |उसने आवाज दी
निन्नी को और बाहर आगया |
निन्नी तो इन्तजार ही कर रही थी |वह चटपट बाहर आईऔर बाउंड्री के बाहर हाथ से गुलाब
लिया |
और धीमी आवाज में सुना “ हैप्पी वेलेंटाइन डे |क्या तुम मेरी वेलेंटाइन बनोगी”
|
निन्नी ने शर्मा कर अपना मुंह हाथ से छिपा लिया |यह सब नजारा रज्जू की माँ दूसरी
खिड़की से देख रहीं थीं| रज्जू ने जब मां को देखा वह जल्दी से सड़क पर निकल गया |
आशा सक्सेना
एक सिक्के के दो पहलू हैं
दोनो बहुत कुछ बोलते है
कहने को बड़े सजग हैं
अपने शब्दों को तोलते हैं |
यदि जानना चाहते हो कारण
किसी से उलझने का या
कोई उलझा हो अपने आप में
सिक्का उछालते है |
चित है या पट मन में सोच लेते हैं
मन में विचार कर उत्तर भी जान पाते हैं
कितने ही लोग इसे सत्य मानते हैं
चित पट के विश्वास पर भरोसा करते हैं|
पहले मैंने सोचा इसको भरम समझूं या नहीं
फिर सोचा शायद मै गलत हूँ पर कैसे
मन को विश्वास आए कैसे
यही सच कैसे उजागर हो |
इसी सच को खोज पाऊँगी या नहीं
जब उसके पास पहुंच पाऊँगी
अपने को सफल पाऊँगी
बहुत खुश हो जाऊंगी |
उसने मना किया वे प्यार न कर सके
तुमने तो समझ लिया है
उसे अपनाने की पेशकस की |
पर वहआगे न बढ़ सकी
वहीं की वहीं रही
मन की पीड़ा न बांटी
उसने उसे अपनाया नहीं
उस भेद को मन में रखा खुद के अंतस में |
वह प्यार और प्रेम में विभेद न कर पाई
शब्दों का लिवास उनको पहना ना पाई
शब्दों का चयन ना कर पाई सिंगार ना किया
यहीं उसने मात खाई |
अपने पर क्रोध आया उसे
कोई रास्ता न सूझा वहीं की वहीं रही
दो कदम आगे तक न बढ़ पाई
यही उसने मात खाई |
आशा सक्सेना
१- तुमने उसे
क्या दिया जानते हो
मन का दुःख
२-ईश्वर कहाँ
मन में छुप गया
देख न सकी
३-सबसे प्यारी
है मुझे मेरी बेटी
जन्म सफल
४-प्रभु से पाई
बड़ी मन्नत बाद
है नियामत
५-कविता गीत
प्यारा संगीत चुना
मन मोहक
६-कान्हां की बंसी
मीठी मधुर धुन
राधा ने सुनी
७- आज के राज
छिपे राजनीति में
मन मैं नहीं
आशा सक्सेना
कहा तो यही जाता है
प्याए दो प्यार मिलेगा
यह सच नहीं है पर उसने परिणाम न सोचा
वह आगे कदम बढ़ाकर रोई |
जीवन में कष्टों के सिवाय
उसे कुछ नहीं मिला
जो पहले मिठास से भरी
बाते करते थे उनने ही
मुंह फेर लिया है |
वह अब सोचती है
जो चाहा उसने वही किया
किसी की सलाह नहीं मानी
नफा हो या नुकसान
की मनमानी वहीं वह चूकी |
जो सोचा हुई उससे दूर
मन का शीशा दरक गया
अरे यह क्या हुआ
उसने ठोकर खाई |
फिर भी देख परिणाम
सोचा उसे क्या मिला
यदि पहले ही सतर्क हो जाती
यह दिन न देखना पड़ता
उसे क्या मिला |
आशा
प्रगति पथ का गंतव्य मुझे छूने न दिया
सही सलाह न दी मुझको
अपनी मनमानी की मैंने
किसी का कहा माना नहीं
अपने को सक्षम जाना
यही समझने की भूल की मैंने
अपने गंतव्य से बहुत पीछे
रही मैं |
यह देख मुझे बहुत पीड़ा हुई
सोचा क्या भूल हुई मुझसे
सब ने मना किया था
पर मन मानी की मैंने |
किसी कथन की नब्ज न देखी
यदि देखती जान लिया होता
कि रोग क्या है उसका इलाज क्या है
यही भूल मुझसे हुई |
अब पछताने से क्या लाभ
अपनी भूल का संताप तो सहना
होगा
अब ऐसी कोई भूल न हो
खुद से वादा लेना होगा |
समय को हाथों से न फिसलने
दूंगी
है वह बहुत कीमती लौट कर न आएगा
अपनी भूल समझकर
आगे कदम
बढ़ाना होगा
किसी ने यदि दी सलाह
उसका मनन भी करना होगा |
अपना अहम् छोड़ कर
मनमानी को
त्यागकर
उसकी बात पर भी ध्यान देना
कोई अपना गलत सलाह नहीं
देगा
अपनी भूल सुधार कर
आगे जाना होगा |
आशा सक्सेना