१ -नहीं किसी ने
कविता को समझा
हुई बेकल
२- साझा रहना
किसी से ना बांटना
मन दुखता
३- मंजिल कहाँ
खोज ना पाई मैं ही
उलझी रही
४-यादें हैं तेरी
हैंअनोखा प्रमाण
एक प्यार की
५- मन ना मेरा
ना हुआ तेरा कभी
किसी के ह्रदय में
यही है सच |
आशा सक्सेना
१ -नहीं किसी ने
कविता को समझा
हुई बेकल
२- साझा रहना
किसी से ना बांटना
मन दुखता
३- मंजिल कहाँ
खोज ना पाई मैं ही
उलझी रही
४-यादें हैं तेरी
हैंअनोखा प्रमाण
एक प्यार की
५- मन ना मेरा
ना हुआ तेरा कभी
किसी के ह्रदय में
यही है सच |
आशा सक्सेना
यशोदा मां ने पाला
नन्द का लाल कहलाया
मेरा कान्हां बृज को भाया |
तुमकहाँ से आए सब के मन को भाए
अपने मामा कंस से भेट के लिए
प्रजा के कष्ट दूर करने के लिए |
आज का युग बहुत कष्टकर है
आम जनता के लिए
घोर अनाचार फैला है मथुरा राज्य में
मामा कंस का कोई ध्यान नहीं आराम से जीने के सिवाय
प्रजा की कौन सुने सहारा दे |
यहाँ सुनी जाती है शक्ति शालियों की
सामान्य जन कष्ट सहन कर रहे मथुरा में
कोई सुनने को तैयार नहीं अपनी व्यथा किससे कहें
तभी कृष्ण को बुलाया हैकष्ट निवारण के लिए
वह आए अपने राज्य को सम्हाला शांति स्थापित हो |
आशा सक्सेना
वह होता नीला आसमान सा
जल की कमीं कभी न होती
पर वहां जल मीठा नहीं होता |
प्यासा पथिक आता जब पास उसके
उसे जल बिना पिए ही लौटना पड़ता
लवण निकाले जाते उसके पानी से
जलचरों का जीवन पालन होता वहां|
समुद्र में जल पोतों से व्यापार होता
एक देश से दूसरे को
जल के बादल हैं वाहक पानी के
जब तापमान अधिक होता वाष्प बनती |
मौसम बदलते ही आसमान में बादल छा जाते
आपस में जब टकराते
बादलों का गर्जन तर्जन होता जल बरसता |
आशा सक्सेना
रोज रोज सपनों का आना
उसका मुख्य पात्र बन जाना
हीरो बन हर कार्य में आगे रहना
सबसे आगे रहने का साहस जुटा आगे आए |
यही चाहत है उसकी जो पूरी
हो पाए अगर
कभी व्योम में राजा के रोल मैं सफलता
है यही बड़ा अरमां उसका जो पूरा हुआ
वह जब सफल होगा अपने किरदार में |
वह जब सपने में अग्र पंक्ति में होता
उसका रास्ता खुल जाता आज
वर्तमान में
बड़ी खुशी होती जब सफल होता वह आज
जब मुख्य भूमिका में ना पाता खुद को
उसके मन को बहुत झटका लगता |
स्वप्न टूट जाएगा उसके विश्वास में भी कमीं आएगी
धैर्य का संयम टूट जाएगा |
इससे बचने के लिए अधिक माया मोह को ना पाला उसने
जीवन सहज जीने का मन बना लिया
तभी कभी तो भाग्य चेतेगा
सफलता कदम चूमेंगी
तुम्हारा जीवन आनन्द की गोद
में होगा |
आशा सक्सेना
एक शिकारी था वह रोजजंगल में शिकार करने जाता |आज उसे कोई शिकार नहीं मिला वह बहुत उदास हो गया
बहुत थक गया था इस लिए आराम के लिए एक पेड़ पर चढ़ गया |पर उदासी ने इतना घेरा कि उसके आंसूं बहने लगे और वे नीचे बनी महादेव जी के ऊपर टपकने लगे |अचानक उसने पत्ती तोड़ होगी शुरू की और नीचे पिंड पर गिरने लगीं |
महादेव जी तो भोले भंडारी हैं |उनको लगा कि वह हरे बेल पत्र चढा रहा है और जलचढा रहा है|शिव जी बहुत जल्दी से प्रगट हुए और बिना किसी से मांगे उसको वर दिया कि जो चाहेगा उसकी मनोकामना पूरी होगी |
शिकारी खुशी ख़ुशी अपने घर चल दिया और रोज सुबहभगवान् शिव जी का पूजन करने लगा |और बेलपत्र चढाने लगा |उसका जीवन बहुत शान्ति से बीत गया | इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि प्रति दिन ईश्वर की पूजन करना चाहिए |
आशा सक्सेना