05 मार्च, 2023

सोचो समझो

 


सोचो समझो फूँक फूंक कर कदम रखो

कहीं राह ना भटक जाना

यदि भूले से राह भटके खोज ना पाओगे

अपने को बहुत दुखी पाओगे  |

राह है कठिन कंटकों से भरी

कच्ची सड़क ऊबड़ खाबड़ है

चौपायों को चराते  यहाँ  वहां

यदि  उन में फंसे कष्ट पाओगे|

मुझे तो अभ्यास हो गया है

गाँव में रहने का सब से मिल जुल कर 

कुए से पानी भर कर लाने का

हाथों से सब कार्य करने का  |

अब आदत हो गई है यहाँ रहने की 

मन में  बस गया है गाँव में रहना

यहाँ के सारे काम काज में रुची रखना

सब से मिलना जुलना |

खुद को अलग नहीं समझना

यही जीवन है यहाँ का 

ना कभी हम बदले ना भेद भाव किया 

 यहाँ के लोगों से देशी भाषा सीखी |

सीखे रीति रिवाज यहाँ के लोगों से 

लोग यहाँ  के कहते हमें अपना 

यही तो यश पाया है हमने यहाँ 

किसी ने हमें अपना तो कहा |


 आशा सक्सेना 

थी कितनी प्रसन्न

हुई उदास सडकों की हालत देख 

               जब बीते दिनों की याद आई               

वे दिन भी कितने प्यारे थे 

कभी भुलाए नहीं भूलते |

अब हुआ उसे एहसास

मन करता है फिर से

 बच्चा बन जाए मन मानी करे 

किसी का कहा अनसुना करे   |

किसी की सीख से ज्ञान ले 

फिर भी सही गलत का भेद ना समझे 

खुश थी दलदल में खिला पुष्प देख 

 कमल  का फूल तोड़ कर  ||

फूल था दूर पंक से पंक में रह कर 

सुन्दर सी चमक लिए 

दिखता कितना प्यारा  

जब सजाता झंडे पर |


आशा सक्सेना 

04 मार्च, 2023

कवि ने गाएगीत




 कवि ने गाए गीत प्रेम के

जब तक जीवन में शांति रही

पर हुआ विचलित मन उसका

 जब महांमारी ने पैर पसारे |

जब मुसीबत आई देश पर

आगे की पंक्ती में खडा रहा

 अपनी रचनाओं से देश के वीर

सपूतों का साहस बढाया |

एक ऐसा कार्य किया जिसने

 मनोवल  बढाया इतना कि वे जुट गए

पूरी लगन से देश की रक्षा के लिए

यह रहा महत्व इतना

 देशवासियों ने  दिलसे सराहा

जो भी लिखा देश हित के लिए

उनको सराहा गया पूरे मन से |

यही विशेषता रही वीररस की रचनाओं में

जब शांति का माहोल बना

बड़ा परिवर्तन दिखने लगा रचनाओं से

कवि की मनोस्थिती की झलक दिखी  

 खुशहाली देश की नजर आई |

 

आशा

03 मार्च, 2023

भगवत भजन








सीता राम कहते  

कष्टों  से दूर रहते 
मन होता एकाग्र आसानी से 

राम    श्याम  को   याद कर 

जीवन कटता आसानी से 

जो शिक्षा मिली उनसे 

जीवन सरलता से आगे बढ़ा

उन अनुभवों को अपने जीवन में उतारा 

ज्ञान की नदिया में बहते गए 

जीवन सार्थक हुआ उनका |

जिसने कभी भजन ना किये होगे 

मन पर बोझ  रहा होगा 

बड़ों की सीख ना मान कर 

अनुभवों को ना स्वीकार कर |

 दूरी हो जाएगी अधिक भगवान् से 

मन बहुत दुखी होगा 

दूरी मिट नहीं सकेगी 

जब भजन होगा जीवन शांति से चलेगा |

आशा सक्सेना 

02 मार्च, 2023

तुम यहाँ कैसे



जब दूर गया तुमसे याद तुम्हारी आई 

ना निंद्रा  आई ना चैन मिला 

आतुर हुआ  घर आने को  
कहीं छुट्टे निरस्त ना हो जाए  |
बहुत दिनों बाद अवसर आया था घर आने का 

  शांति सीमा पर थी 

मेरे घर का द्वार खुला था 
सबको इंतज़ार था 
निगाहें टिकी थी  खाली सड़क पर 
अचानक किसी ने झांका खिड़कीसे 

हाथ हिलाते देखा तुम्हें 

मन बल्लियों उछला 

सब से मिला पहले |

फिर कक्ष में आया 

आश्चर्य हुआ मेरे  मुंह से निकला 

 तुम यहाँ कैसे कैसी परीक्षा हुई

परिणाम कब तक आएगा |

आशा सक्सेना 

01 मार्च, 2023

हाइकू(होली )


                                        १-फागुन आया
 

रंग गुलाल लाया 

खेलेंगे  रंग 

२-भक्त खेलते 

फूलों के रंग बना 

कान्हां के संग

३-मिलजुल के 

रंग लगाते लोग 

होली  है आई 

४-गीत फाग के 

गाते हैं चंग  बजा 

थिरकते हैं

५- गुजिया खाना 

बहुत अच्छा लगा  

साकों के साथ

६-डाला  गुलाल

मिलकेआपस में

                                                                  भूल के बैर 

आशा सक्सेना 

28 फ़रवरी, 2023

ग्लोबल वार्मिंग



सूखा सावन रहा 

सर्दी भी नहीं भर पूर 

 अभी से  गर्मीं का  

एहसास हो रहा |

क्या यह नमूना नहीं 

ग्लोवल वार्मिग का     

असमय मौसम में

परिवर्तन हुआ जाता |

अभ्यास नहीं इस का 

पर जीवन यहीं बिताना है 

इस बदलाव के संग जीना है 

उसे  ही खोजने में 

वैज्ञानिक जुटे हुए हैं |

 मनुष्य ही जुम्मेंदार है 

इस परिवर्तन के लिए 

इससे कैसे बचा जाए 

अब खोज रहा है |

आशा सक्सेना