10 मार्च, 2023

अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस

महिलाओं ने प्रगति की अपार 

कोई क्षेत्र ना छोड़ा 

अपने पैर जमाने को 

हुई सफल हर क्षेत्र में |

यही योग्यता पहले

ना जानी किसी ने 

घर बाहर हर क्षेत्र में

सबने  सराहा उन्हें  |

पहले ना समझी

उनकी योग्यता 

को जब परखा

जितनी भी तारीफ की जाए 

शब्द भी कम पड़ते

उनकी  प्रशंसा के लिए|

सारे संसार में सभी जगह

कहाँ नहीं दीखता उनका वजूद

यही तो योग्यता है उनकी 

उन्हें सराहा जाता|

तभी अन्तराष्ट्रीय  महिला दिवस  

मनाया जाता धूमधाम से 

हर वर्ष मनाया जाता 

अंदर बाहर दौनों क्षेत्रों में

कभी पुरूस्कार भी दिए जाते

शानदार कार्यों के लिए|



 

आशा सक्सेना 

09 मार्च, 2023

मन ने समझाया








                                                                आज जब गीत गाए 

महफिल में सपने सजाए 

मन ने आत्म सात किये 

यही कहा  सबने  

यह कैसी रीत अपनाई |

गैरों को अपनाया मन से 

अपनों से दूरी बढ़ाई

आखिर क्या सोचा मन में

कविता किसने दी सलाह कैसी 

मेरी  समझ ना आई

कविता में सब को अपनाया 

\मेरे  से कोसों दूर रहे 

कभी मन से कारण सोचा होता 

यदि समझ लिया होता मुझको 

दूरी नजदीकियों में  बदल जाती

पूरी जब ये होतीं  

मन को ख़ुशी मिलती

और नजदीकिया रंग लातीं

प्यार में बदल जातीं|

आशा सक्सेना 

08 मार्च, 2023

होली आईरे


१-हम खेलते 

अवीर गुलाल से 

साजन संग 


रंग खेलते 

राधा बरसाने से 

कान्हां के संग |


३-भगत खेले 

राधारानी के संग 

फूलों के संग 


४-चंचल राधा 

कान्हां से अधिक ही 

रुकमणी से 

सबने खेली 

अबीर  गुलाल से 

|आज होली है 

05 मार्च, 2023

सोचो समझो

 


सोचो समझो फूँक फूंक कर कदम रखो

कहीं राह ना भटक जाना

यदि भूले से राह भटके खोज ना पाओगे

अपने को बहुत दुखी पाओगे  |

राह है कठिन कंटकों से भरी

कच्ची सड़क ऊबड़ खाबड़ है

चौपायों को चराते  यहाँ  वहां

यदि  उन में फंसे कष्ट पाओगे|

मुझे तो अभ्यास हो गया है

गाँव में रहने का सब से मिल जुल कर 

कुए से पानी भर कर लाने का

हाथों से सब कार्य करने का  |

अब आदत हो गई है यहाँ रहने की 

मन में  बस गया है गाँव में रहना

यहाँ के सारे काम काज में रुची रखना

सब से मिलना जुलना |

खुद को अलग नहीं समझना

यही जीवन है यहाँ का 

ना कभी हम बदले ना भेद भाव किया 

 यहाँ के लोगों से देशी भाषा सीखी |

सीखे रीति रिवाज यहाँ के लोगों से 

लोग यहाँ  के कहते हमें अपना 

यही तो यश पाया है हमने यहाँ 

किसी ने हमें अपना तो कहा |


 आशा सक्सेना 

थी कितनी प्रसन्न

हुई उदास सडकों की हालत देख 

               जब बीते दिनों की याद आई               

वे दिन भी कितने प्यारे थे 

कभी भुलाए नहीं भूलते |

अब हुआ उसे एहसास

मन करता है फिर से

 बच्चा बन जाए मन मानी करे 

किसी का कहा अनसुना करे   |

किसी की सीख से ज्ञान ले 

फिर भी सही गलत का भेद ना समझे 

खुश थी दलदल में खिला पुष्प देख 

 कमल  का फूल तोड़ कर  ||

फूल था दूर पंक से पंक में रह कर 

सुन्दर सी चमक लिए 

दिखता कितना प्यारा  

जब सजाता झंडे पर |


आशा सक्सेना 

04 मार्च, 2023

कवि ने गाएगीत




 कवि ने गाए गीत प्रेम के

जब तक जीवन में शांति रही

पर हुआ विचलित मन उसका

 जब महांमारी ने पैर पसारे |

जब मुसीबत आई देश पर

आगे की पंक्ती में खडा रहा

 अपनी रचनाओं से देश के वीर

सपूतों का साहस बढाया |

एक ऐसा कार्य किया जिसने

 मनोवल  बढाया इतना कि वे जुट गए

पूरी लगन से देश की रक्षा के लिए

यह रहा महत्व इतना

 देशवासियों ने  दिलसे सराहा

जो भी लिखा देश हित के लिए

उनको सराहा गया पूरे मन से |

यही विशेषता रही वीररस की रचनाओं में

जब शांति का माहोल बना

बड़ा परिवर्तन दिखने लगा रचनाओं से

कवि की मनोस्थिती की झलक दिखी  

 खुशहाली देश की नजर आई |

 

आशा

03 मार्च, 2023

भगवत भजन








सीता राम कहते  

कष्टों  से दूर रहते 
मन होता एकाग्र आसानी से 

राम    श्याम  को   याद कर 

जीवन कटता आसानी से 

जो शिक्षा मिली उनसे 

जीवन सरलता से आगे बढ़ा

उन अनुभवों को अपने जीवन में उतारा 

ज्ञान की नदिया में बहते गए 

जीवन सार्थक हुआ उनका |

जिसने कभी भजन ना किये होगे 

मन पर बोझ  रहा होगा 

बड़ों की सीख ना मान कर 

अनुभवों को ना स्वीकार कर |

 दूरी हो जाएगी अधिक भगवान् से 

मन बहुत दुखी होगा 

दूरी मिट नहीं सकेगी 

जब भजन होगा जीवन शांति से चलेगा |

आशा सक्सेना