07 मई, 2023

कमल कामिनी


                                                          नाजुक  कमनीय  दिखती 

मन से  सुन्दर है 

तन से ही सुन्दर नहीं 

कमल के फूल सी हो |

दलदल  में खिलती 

पर ज़रा भी मिट्टी में

 लिपटी  नहीं  होती 

यही विशेषता है उसकी |

हर बार सबको

 बहुत पसंद आती है 

उसकी सुन्दरता है अनमोल 

आम पुष्पों से भिन्न  |

क्या फ़ायदा उसे तोड़ने मैं 

बेजान गुलदस्ते में सजाने  में 

 वह  तो डाली पर ही शोभा देती है 

यहीं सजी सजाई अनमोल दिखती है|

आशा सक्सेना 

06 मई, 2023

काश हमारे जीवन में

 

काश हमारे जीवन में

कुछ नया होता तो

 हम   सह्लेते

पर घुटने ना टेकते |

 यही आस्था है मन में

जता नहीं सकती सब को

यही समस्या है मेरी, किस को याद करू

कैसे उसे हल करू अपना मानूं |

 है यह मन चंचल का प्रताप

कभी सोच नहीं पाई

कोई हल नजर ना आया

कोई निष्कर्ष  निकाल  नहीं पाई |

मन में धैर्य का अभाव रहा

तभी नतीजा ना मिल पाया

इस धैर्य को कैसे प्राप्त करूं

किसे गुरू स्वीकारूं|

05 मई, 2023

हाइकू

 


१-कैसा जीवन

सफल असफल

निर्णय किया

२- धर्म अधर्म

उलझन में पड़ी

किसे चुनलूं

३-भक्ति धर्म की

या अंधविश्वास है

किसको चुनू

४- आरती करूं

भोग प्रसाद बनाऊँ

प्रभु मनाऊँ  

५-मजदूर हूँ

महनत से ही है

लगाव मुझे

६-जीवनसंध्या

अपने नंबर की  

राह देखती

आशा सक्सेना 

04 मई, 2023

अपनी सफलता पर

 

स्याह काली चूनर पहने

संध्या आई दिल जीतने

हमने भी सौहार्द्र का रुख दिखाया

बड़े प्यार से कालीन बिछाया |

चौमुख दियना महफिल में जलाया

कमरा हुआ जगमग आनेवाले लोगों के लिए

सब थे उत्सुक अपने अपने कलाम

सुनाने के लिए जज्बातों पर टिप्पणी लेने केलिए यह तो एक छोटा सा प्रयास था हिन्दी लिखित साहित्य में योगदान के लिए |

अपनी सफलता पर मन हुआ प्रसन्ना

देख कर अपना आयोजन

संतुष्टि आई अपनी सफलता पर

यही अपेक्षा थी सबको मुझसे  

जिसमें मैं सफल हुई

सब ने आशीष दिया मुझे और हिम्मत बधाई |

30 अप्रैल, 2023

हम तुम्हारे तुम उसके

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 


                                                तुम हमारे नहीं हो पाए कभी 

प्रार्थना हमने भी की दिल से 

पर वही प्यार तुम्हे क्यूँ उससे 

मन सोच रहा कारण खोज ना पाया |

उस में  ऎसी क्या विशेषता देखी 

दो चार दिन  योग किया फिर मन उचटा

मन में अवधान ना रहा यह क्या हुआ |

माया मोह में गले गले तक डूबी

बह चली भव सागर में मझधार में डूबी

तब याद तुहारी आई पार लगाओ मेरी नैया

जब कठिनाई सर पर हो तभी याद यदि किया |

सुख में ना याद किया प्रभु को

  दुख में पूजन अर्चन को याद किया 

तब क्यूँ प्रभू को दोष देते हो

अपनी गलती का अहसास करो  |

आशा सक्सेना

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

29 अप्रैल, 2023

हाईकू

 

हाईकू

१-तुम्हारा  ख्याल

मेरे बारे मैं कैसा

बता सकोगे

२-कविता कैसी

किसने सुनाई है

बहुत सुन्दर

३-न्याय मेरा है 

तुम जानों ना जानो

जानता हूँ मैं

४-हमारा प्यार

है कुछ अलग सा

जानते दोनो

५-मेरा तेरा क्यों

क्या दौनों का नहीं है

 अलग नहीं 

6-. सुबह शाम 

मिलते होते  एक  

आसमान में 


28 अप्रैल, 2023

मेरी नई पुस्तक "उड़ान मन की "


 मेरी नई पुस्तक "उड़ान मन की "

सतरहवा काव्य संकलन "का प्रकाशन हो चुका है 

उसका कवर पेज आपके  समक्ष प्रस्तुत है  

सहा सक्सेना