28 जून, 2023
वन के राम तपस्वी राजा
जीवन के रूप अलग से दिखाई देते
27 जून, 2023
कण कण में शिव शंकर
कंकड़ कंकड़ में शिव शंकर
रहा उनका घर भव् सागर में
मन ने जो कुछ सोचा
एक दम सही सोचा |
वे हमारे इतने नजदीक
जब याद किया उनको
वे चले आए क्षणों के अंदर
उनने पूरे किये अपने किये
वादे को |
निभाया अपना प्रेम मानव के
लिए
दी सही सलाह सब को
जो उनसे था अपेक्षित
यही सब कहते हर कंकर में
शिव शंकर |
जब शिव जी भव सागर में में
घूमें
सुख दुःख देखा सब का
सरल चित्त होने से
किसी को ना दिया श्राप
क्षमा यहाँ रहने वालों को
किया
केवल सहायक हुए यहाँ
लोगों के कष्टों को मिटाने
में
तभी कहलाते कण कण में शंकर बसे
हैं
सब की पीड़ा हर लेते हैं
हैं दया के स्वामी यही है विशेष शंकर में |
26 जून, 2023
बड़ा बोल बोला मैंने
तुम चन्दा मैं तुम्हारी छाया
तुम तारे मैं उनकी प्रतिछाया
है प्यार एक तराजू के एक पल्ले में
जीवन दूसरे पल्ले में |
किसी ने नजरअंदाज किया
मेरा भ्रम तोड़ दिया
मुझे एक झटका लगा मलने
यह गलतफैमी पाली
मैं पूरी सक्षम हूँ
यही बड़ा बोल बोला|
अपने को नियंत्रण में ना रख पाई
इसी ने विष का काम किया
उसने ही मेरा भ्रम तोड़ा |
आशा सक्सेना
मन ने भी कुछ सोचा
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दिन बीता ,शाम आई , रात गई
कहने को कोई काम नहीं किया
फिर
क्या किया
कुछ नया नहीं पर धैर्य रखा |
इसकी महिमा से
कोई अपेक्षा नहीं रखी
फिर भी कर्तव्य करती गई
जो भी सोचा किया पूर्ण रूचि
से किया |
मन मुखरित हुआ ना हुआ
स्वप्न का भी अर्थ नहीं
सूझा
आने वाले स्वप्नों का अर्थ
सार्थक नहीं हुआ
यही अच्छा हुआ ना हुआ |
जीना केवल स्वप्नों में
है क्या न्याय हमारा
अपने मन का किया
किसी ने सही समझाया नहीं
यह तो पता नहीं पर आशय नहीं समझा |
बस एक धैर्य था जिसका दामन
पकड़ा
कभी तो सफलता मिलेगी यही
सोचा
असफलता से सफलता की राह
मिलेगी
25 जून, 2023
तुमने किसी को महत्व ना दिया
तुमने किसी को महत्व ना दिया
समाज का आदर ना किया
अपना दिल उसे दे दिया
अपने से बहुत नजदीक किया |
उसने कदर न जानी तुम्हारी
यही बात उसके मन ना भाई
बिना सोचे विचारे यह क्यों किया
किसी का दिल तोड़ दिया |
उसे खुश रखने के लिए
यह सही नहीं किया
|सब का मान सन्मान ना किया
उड़े तुम झूटी शान मेंआसमान में
किसी की आवश्यकता नहीं समझी
जिसने भी अपनी हाथ फंसाया
काजल की कोठारी में उसने
अपने हाथ काले किये |
मन को किसी के ठेस लगी
यही बात मन को चुभ रही
हमने तो जीने का मन बनाया
रंगीन सुहाने सपनों में
यही है प्यार की रीत
कुछ नया नहीं है
आशा सक्सेना
24 जून, 2023
कृष्ण
नवनीत इकठ्ठा लिया खुद खाया
कान्हां ने लूट मचाई
मित्रों को दूध दही खिलाया |
जब गोपी आईं उनने उसे बरजा
की शिकायत यशोदा सेकान्हां ने स्वर बदला
कहा ये गोपिया झूठ का सहारा ले कर तुम
सन्मुख आई हैं उसने कुछ नहीं किया हैं
यही झूठ सच में बीता कान्हां का बचपन
ग्वालव़ालों ने भी कान्हां का ही पक्ष लिया
किशोरवय आते ही कान्हां चले गायों को चराने पहनी काली कमली
वन में जीवन खूब जिया |
राधाके संग घूमें बांसुरी बजाई जो राधाके मन भाई उसी ने यह सब को बताया
इधर मथुरा में घोर अराजलता छाई
ऊधव ने वृन्दावन में ज्ञान गंगा बहाई यही कृष्ण पूर्ण पुरुष का जन्म हुआ
वे मथुरा के राजा हुए |