05 जुलाई, 2023

बचपन की यादें

तुम्हारे  बचपन की हर घटना  याद है मुझे 

भूल नहीं पाती वे दिन कैसे  कटे 

रात भर जाग कर गुजरती 

सोने ना  दिया तुम्हारे रोने ने |

कितने लालच  दिए तुम को 

तुम अड़े रहे अपनी जिद्द पर 

यह रोज की आदत थी तुम्हारी |

कहना ना मानना 

अपनी जिद्द पर अड़े रहना 

आज भी किसी बच्चे को 

जब रोते देखती हूँ 

तुम्हारी याद आती है

खोजाती हूँ अपनी यादों में तुम्हारा  बचपन 

कभी याद आता है तुम्हारा नृत्य

 मेरी' तिल्लेवाली साड़ी खराब हो गई ''

छत पर कभी गीत' गाना 

मम्मीं  ओ मम्मी  तू कब सास बनेगी '|

तुम्हारा पीछे के मकान में

बर्तनों पर गिरना बेहोश होना 

मुझे पसीना आया था डाक्टर को घर बुलाया था 

ऐसे हादसे चाहे जब हो जाते थे 

यह जरूर था तुम एक रुपया हाथ में लेते ही

 चुप हो जाते थे हर बात मान लेते थे |

ना किसी से भय ना ही चोट की फिक्र 

यही जीवन का सबसे सुन्दर समय था 

तुम्हारा बचपन भूल नहीं पाती 

आशा सक्सेना 


04 जुलाई, 2023

आज का वातावरण

 

सारी दुनिया देख रही

आज के वातावरण को

किसी ने मन ना  मारा

खुल कर जिए बिना दवाव के |

उनको कभी घुटन ना हुई वे जीते रहे

आज के माहोल मैं जीवन हुआ बेरंग

यह करो यह ना करो में उलझे रहे  

कहीं के ना रहे

 हुई स्थिती ऎसी धोबी के कुत्ते जैसी |

किसी ने समझाया भी

 सुनो सबकी करो मन की

पर मन ने कहा यह तो गलत होगा

क्या किसी का अपमान नहीं होगा

इसमें कोई क्या करे ?

आखिर अपनी जिन्दगा में

कभी तो खुल कर जीना हो

अपने अनुसार चल पाएं

किसी के आश्रित नहीं  हों |

जाग्रति समाज में आई जरूर पर दिखावा है

मंच पर भाषण अलग और धर में अलग व्यवहार

यही यदि किसी ने ध्यान दिया होता

किसी ने खुशी ना जताई होती

व्यवहार कथनी और करनी में

 अलग ना होता |

यही तो आज का जीवन है

उसे ऐसा ही जीवन जीना है

फिर मन में क्लेश क्यूँ ?

03 जुलाई, 2023

शत शत नमन

 आज गुरू पूर्निमा है सभी गुरू जन को शत शत नमन-

 

 प्रथम गुरू माता , जिसने जन्म  दिया  

धरती  पर आने का मार्ग प्रशस्त किया  

पिता ने उंगली पकड़ चलना सिखाया 

बचपन में सहारा दिया ज्ञान दिया |

किशोरवय में मित्रों ने राह दिखाई

  सही या हालत  जान ना पाई 

यौवन आते ही अनुभवों से बहुत कुछ सीखा 

कभी गलत अनुभवों से बच कर रहने की |

सीख से भी नहीं मुह मोड़ा 

 यही शिक्षा  जीवन में मैं ली 

जीवन के अंतिम  भाग में 

एक अच्छे नागरिक बन के रहे |

जाने कितने लोगों ने मेरा

  अनुकरण करने की कसम खाई 

मझे गर्व है अपने गुरुओं पर

 जिनने मुझे काबिल बनाया 

उनको शत शत नमन  |

आशा सक्सेना 

हाईकू

 

 १-हम तुम हैं

एक डाल  के  पंछी

 साथ रहते

२- वीरों की जान 

सीमा पर तैनात  

आँखें  नम हैं  

३- तुम रक्षक

देश के रखवाले

हमें गर्व है

४-गहन  सीमा

तैनात सैनीक हैं

रक्षक रहे

५-गहरी खाई

अलग किला  किया

कठिन मार्ग  

६- सरल नहीं

देश की रक्षाकरें 

ये सैनिक हैं |

हाईकू

  १-मन ने देखा 

सोचा मनन किया 

रहम किया 

२-जीवन गीत 

 नहीं गुनगुनाया 

मन से यहाँ  

३-तेरी कहानी 

किसी ने नहीं  सुनी 

संवेदना है 

४-रंगीन रात 

सब व्यस्त इसमें 

टाइम नहीं 

५-यह मौसम 

किसी का सगा नहीं  

यही दुःख है 


आशा सक्सेना 

02 जुलाई, 2023

कब जानना चाहा मैंने

 

कब जानना चाहा मैंने

तुम्हारे मन में क्या है

यदि बता दिया होता

तुम्हारी सलाह में कुछ तो  दम होता  |

सारी दुनिया से अलग थलग रह

अपनी दुनिया को बसाया यहाँ

क्या यही बात तुमको ना भाई

कि मैंने भी दिखावा किया |

यह सच नहीं है

दिखावे का कोई रोल नहीं यहाँ

हर व्यक्ति के वास्तविक जीवन में

जब खोज पूरी हुई रंगीन जीवन हुआ |

मन को सुकून आया

 महक में इसकी डूब कर |

, खुशी का कोई मोल नहीं है

वह है  अनमोल

बड़े कष्ट से पाया है मैंने

अब तक सम्हाल कर रखा इसे

यही है मेरी संचित पूंजी 

सब ने खुशबू को दूर से पहचाना है|

आशा सक्सेना

 

किसी का महत्व ना समझा तुमने

 

 

समाज का आदर ना सन्मान 

किसी से नाता ना जोड़ा

अकेले  रहे ,जीवन नीरस हुआ |

तुमने किसी को महत्व ना  दिया 

यही दिखता अहम् तुम्हारा 

किसी से लाभ कैसा कितना 

जोड़ तोड़ में लगे रहे 

यही तो कमीं रही तुममें 

जोड़ तोड़ कितना करोगे 

कभी तो सामान्य रूप से रहो 

यही एक आकांशा रही मन में 

तुम कब मुझे अपना समझोगे 

यह गैरों जैसा व्यबहार 

क्या सब से रहा तुम्हारा |

केवल मुझसे नहीं ,यह किस कारण 

बताया तो होता 

शयद कोई हल निकल पाता |

जीवन फिर से रंगीन होता 

जिन्दगी एक रस ना होती 

बहुत खुश हाल होती |

आशा सक्सेना