09 जुलाई, 2023

आई वर्षा झूम झूम

 

आई वर्षा झूम झूम

बादल गरजे घटाएं छाई 

बिजली कड़की

जब आपस में  टकराए |

चारो ओए अन्धेरा छाया

मौसम में बड़ा

परिवर्तन आया

फिर हुई बूंदों  की वर्षा |

हलकी सर्द हवा चली

कभी उमस बढ़ने लगी  

आजोबोगरीब

मौसम हुआ |

प्रकृति ने बदला रूप

 यही हम ने ध्यान से देखे

 सारी धरती पर

कोई अनहोनी के संकेत मिले |

कभी समुद्र में तूफानी लहरे आईं

लगता ग्लोबल वार्मिग का

असर हुआ तेज बारिश

बेमौसम आई

सब के मन में बेचैनी आई |

ऐसे परिवर्तन आए

फसलों को भी  प्रभावित किया

किसी की फसल बिगड़ी

किसी के बीज

 नहीं बोए गए |

सरकार भी कितनी

 मदद करती

कभी बीज देती

कभी  धन देती |

फिर भी  यही रोना किसानों का

मंहगाई का

आम आदमी भी नहीं बचा इससे

घर कैसे चलाए

 हुई कठिन समस्या |

08 जुलाई, 2023

मीरा बाई

 

कौन कहता है तुम मेरे नहीं हो

तुम से अपेक्षा भी नहीं मुझ को

मैंने  माना है तुम्हें अपना

किसी ने मुझे  बताया नहीं है |

जब उम्र बाली थी मैंने तुम्हें अपनाया था

एक बरात जाती देख मैंने पूंछा था

यह बेंड बाजा किस लिए

 बारात जा रही थी है शादी की,

 माँ ने बताया बड़े सरल  भाव से  

 मीरा ने पूंछा था ,हैं उसके  वर कौन 

माँ ने कहा यही  श्याम  हैं तेरे वर |

जब बड़ी हुई विवाह हुआ चित्तोड़ के  राजा से

 उसने उनको पति  नहीं  स्वीकारा

उसके लिए मीरा मंदिर बनवाया राजा ने 

मीरा मंदिर में रहीं भजन में व्यस्त चित्तोड़ में

ऎसी कहानी है,कृष्ण भक्त रानी मीरा की |

हाईकू

१-हम दम हो 

करीब रहो तुम 

यही क्या कम 


२-हर बात की 

सीमा नहीं होती है 

कोई है  सीमा 


३--चाँद आधा है 

पर चमक कम 

मुझे  पसंद 




४-नींद ना आए 

रातें आँखों में कटी 

बेचेन होती 


५-कविता लिखी 

सदा एक सी नहीं 

कुछ नया है 


आशा सक्सेना   


07 जुलाई, 2023

तुम भोले शिव शंकर

 

तुम भोले शिव शंकर

कैलाश वासी कण कण में बसे  

सरल संहज सब के दुख हरता

जगत के पालन हार |

धरती वासी हो अविनाशी

तुम्हारी दया सब पर होती

बहुत  सरलता से

किसी को कठिन तपस्या नहीं करनी पड़ती |

होते तुम प्रसन्न थोड़ी सेवा से

तभी तो सारे भव सागर में

 तुमको ही अधिक पूजा जाता

तुम्ही मार्ग दिखाते भवसागर से पार उतरने का |

सब सोचते भवसागर तर जाएंगे 

जब तुमको पूजेंगे

पूरी श्रद्धा से, आस्था से 

जब याद करेंगे|

तुम्हारी चरण रज  पा कर 

सारी बुराइयां धुल जाएंगी

यही एक विश्वास रहा 

मन में सब के |

आशा सक्सेना

06 जुलाई, 2023

वह देखती राह तुम्हारी

 

वह  देखती राह तुम्हारी

द्वार खुलते ही सड़क पर

नजर जाती वह  झांकती

दूर तक सड़क दिखाई देती |

पर तुम्हारा पता ना  होता

फिर वही क्रम जारी रहता

अचानक कोलाहल होता

आहट दरवाजा खुलने की होती

 वह  जान जाती खवर तुम्हारे आने की

जो खुशी उसको होती किसी और को नहीं

 बड़ी मुश्किल से अवकाश मिलता तुम्हें 

पर मन मार कर इन्तजार करती

आने पर इतनी खुश होती

खुद को ही  भूल जाती|

आशा सक्सेना 

05 जुलाई, 2023

बचपन की यादें

तुम्हारे  बचपन की हर घटना  याद है मुझे 

भूल नहीं पाती वे दिन कैसे  कटे 

रात भर जाग कर गुजरती 

सोने ना  दिया तुम्हारे रोने ने |

कितने लालच  दिए तुम को 

तुम अड़े रहे अपनी जिद्द पर 

यह रोज की आदत थी तुम्हारी |

कहना ना मानना 

अपनी जिद्द पर अड़े रहना 

आज भी किसी बच्चे को 

जब रोते देखती हूँ 

तुम्हारी याद आती है

खोजाती हूँ अपनी यादों में तुम्हारा  बचपन 

कभी याद आता है तुम्हारा नृत्य

 मेरी' तिल्लेवाली साड़ी खराब हो गई ''

छत पर कभी गीत' गाना 

मम्मीं  ओ मम्मी  तू कब सास बनेगी '|

तुम्हारा पीछे के मकान में

बर्तनों पर गिरना बेहोश होना 

मुझे पसीना आया था डाक्टर को घर बुलाया था 

ऐसे हादसे चाहे जब हो जाते थे 

यह जरूर था तुम एक रुपया हाथ में लेते ही

 चुप हो जाते थे हर बात मान लेते थे |

ना किसी से भय ना ही चोट की फिक्र 

यही जीवन का सबसे सुन्दर समय था 

तुम्हारा बचपन भूल नहीं पाती 

आशा सक्सेना 


04 जुलाई, 2023

आज का वातावरण

 

सारी दुनिया देख रही

आज के वातावरण को

किसी ने मन ना  मारा

खुल कर जिए बिना दवाव के |

उनको कभी घुटन ना हुई वे जीते रहे

आज के माहोल मैं जीवन हुआ बेरंग

यह करो यह ना करो में उलझे रहे  

कहीं के ना रहे

 हुई स्थिती ऎसी धोबी के कुत्ते जैसी |

किसी ने समझाया भी

 सुनो सबकी करो मन की

पर मन ने कहा यह तो गलत होगा

क्या किसी का अपमान नहीं होगा

इसमें कोई क्या करे ?

आखिर अपनी जिन्दगा में

कभी तो खुल कर जीना हो

अपने अनुसार चल पाएं

किसी के आश्रित नहीं  हों |

जाग्रति समाज में आई जरूर पर दिखावा है

मंच पर भाषण अलग और धर में अलग व्यवहार

यही यदि किसी ने ध्यान दिया होता

किसी ने खुशी ना जताई होती

व्यवहार कथनी और करनी में

 अलग ना होता |

यही तो आज का जीवन है

उसे ऐसा ही जीवन जीना है

फिर मन में क्लेश क्यूँ ?