14 जुलाई, 2023

किसी एक बन्दूक में

 किसी एक बन्दूक में 

कुछ ही गोली होती है 

जिनके उपयोग से

जन जीवन अस्तव्यस्त हो जाता है|

अमन चैन सब छीन जाता है 

ज़रा से सुख की चाह में 

 मानव का विनाश होता है 

यही बात मन को क्लेश पहुंचाती है |

अमन चैन की बातें केवल

 भाषणों में होती हैं

 वास्तविकता का रूप अलग है 

जो होता है वह  दिखाई नहीं देता |

जिसकी कल्पना ना  होती वही

 बड़ा भयावय रूप लेता 

मानव जाति की शांति हर लेता 

वह बड़ा जानमाल का  नुक्सान देखता |

मन वित्रिश्ना से भर जाता 

पर कदम  पीछे नहीं हटाता 

इसी ह्टधर्मिता से  

मानव जाति का विनाश होता |

कहीं तो बात होती है वासुदेव कुटुम्बकम की 

पर दो लोग भी मिल कर रह नहीं पाते 

छोटी छोटी बातों पर 

लड़ने मरने को तैयार रहते 

जाने कब शान्ति आएगी

 भव सागर में |\|

आशा सक्सेना 

13 जुलाई, 2023

तुम कब आओगे

 

कब गाए गीत मिलन के

यह भी भूली किसके साथ

याद किया वह  फिर भी ना  आई

झुले पर झूल रही

केवल सखियाँ याद रहीं |

फिर भी जब ध्यान जाता

 निगाहें खोज रहीं तुमको

तुमने तो वादा किया था

 सावन जाते ही मुझे लेने आओगे

पर तुम नहीं आए |

 कभी सोचा नहीं  था

इतनी जल्दी सावन जाने का समय आने को है

राह देख रही हूँ

कितनी जल्दी सावन बीता है  

मेरी सहेलियां जाने लगी हैं |

मुझे है इन्तजार तुम्हारा आने का

यादों को सहेज कर रखा है तुम्हारे लिए

तुम जल्दी आजाओ

अब इन्तजार नहीं होता क्या किया जाए |

12 जुलाई, 2023

किसने बदले तेवर उपजाऊ धरा के

 जब बरसा पानी धरा पर  कीचड़ हुआ 

मट्टी उलट पलट हुई

 कहीं अति का जल भरा 

कहीं सूखा पडा |

उस पर मौसम का प्रभाव पडा 

जहां बीज बोए गए थे 

वे प्रस्फुटित  ना हुए \|

जहां खेत खाली पड़े थे 

कुछ बोने का मन ना  हुआ

कोई निश्चितता नहीं थी 

वर्षा के आगमन की |

यहू सब सोच किसान हुआ उदास 

यहाँ  वहां भटक रहा था क्या करे 

किसकी सलाह से

 नुकसान नहीं होगा |

फसल के पकने पर |

मन को दिलासा दे रहा था 

अपनी फसल को 

भगवान् भरोसे छोड़ |

यदि भाग्य ने साथ दिया 

फसल अच्छी ही होगी

 यही सोच संतुष्ट हुआ

उसने भरोसा किया भाग्य पर |

प्रभू की दया पर 

और आत्मविश्वास पर 

प्रभु ने एक दृष्टि की उस पर 

यही एक सहारा था उसका |

आशा सक्सेना 

\

11 जुलाई, 2023

मेरा ख्यल

 

ख्याल तो ख्याल ही है

कोई फर्क नहीं पड़ता

मेरा हो या तुम्हारा  

मैं तो इतना जानती हूँ

मेरे ख्याल से ही है वजूद मेरा |

यह बदल भी सकता है

किसी और के विचार सुनने से

जरूरी भी नहीं बदले विचार अपनाने को

मुझे गर्व है अपने पर

 जो मेरा मन चाहता वही करना, जो मैंने सोचा

मैं किसी के हाथ की कठपुतली नहीं

जो चाहे जैसा नचाले मुझको |

मुझे मनमानी करने की आदत हो गई  है

सरल नहीं मुझे समझना

  यही एक कमी है मुझमें

 जिसने मुझे समझा, अपनापन दिया मुझे

वही मेरा अपना हुआ |

मेरा साथ पाकर जीवन में रंग आया उसके

किसी कठिनाई से भयभीत ना होगा

अपने लोगों से मदद मिलती  ,यही है सोच मेरा |

आशा सक्सेना 

10 जुलाई, 2023

कुछ कार्य होते आवश्यक

 

हर कार्य की सीमा होती है

मन को कब तक उलझा कर  रखोगे

कभी तो वह  समाप्त हो जाएगा

फिर कैसे अपने को व्यस्त रखोंगे |

कुछ कार्य तो होते आवश्यक

पर कुछ समय नष्ट करते

जिनमें  व्यर्थ समय गवाया  जाता

यदि उनमें व्यस्त रहे

 कुछ भी ना कर पाओगे

जीवन व्यर्थ समाप्त हो जाएगा |

कोई तुम्हें याद नहीं करेगा

जब दुनिया से उठ जाओगे

अच्छे कार्यों को समय समय पर

यदि किया जाए कोई नई बात नही होती

दुनिया से जाने पर भी याद किया जाता |

यही यादों में रह जाता 

उसे याद करने का अवसर 

कोई नहीं भूल पाता 

उसे बार बार याद किया जाता  |

आशा सक्सेना  

 

  

  ४-

09 जुलाई, 2023

आई वर्षा झूम झूम

 

आई वर्षा झूम झूम

बादल गरजे घटाएं छाई 

बिजली कड़की

जब आपस में  टकराए |

चारो ओए अन्धेरा छाया

मौसम में बड़ा

परिवर्तन आया

फिर हुई बूंदों  की वर्षा |

हलकी सर्द हवा चली

कभी उमस बढ़ने लगी  

आजोबोगरीब

मौसम हुआ |

प्रकृति ने बदला रूप

 यही हम ने ध्यान से देखे

 सारी धरती पर

कोई अनहोनी के संकेत मिले |

कभी समुद्र में तूफानी लहरे आईं

लगता ग्लोबल वार्मिग का

असर हुआ तेज बारिश

बेमौसम आई

सब के मन में बेचैनी आई |

ऐसे परिवर्तन आए

फसलों को भी  प्रभावित किया

किसी की फसल बिगड़ी

किसी के बीज

 नहीं बोए गए |

सरकार भी कितनी

 मदद करती

कभी बीज देती

कभी  धन देती |

फिर भी  यही रोना किसानों का

मंहगाई का

आम आदमी भी नहीं बचा इससे

घर कैसे चलाए

 हुई कठिन समस्या |

08 जुलाई, 2023

मीरा बाई

 

कौन कहता है तुम मेरे नहीं हो

तुम से अपेक्षा भी नहीं मुझ को

मैंने  माना है तुम्हें अपना

किसी ने मुझे  बताया नहीं है |

जब उम्र बाली थी मैंने तुम्हें अपनाया था

एक बरात जाती देख मैंने पूंछा था

यह बेंड बाजा किस लिए

 बारात जा रही थी है शादी की,

 माँ ने बताया बड़े सरल  भाव से  

 मीरा ने पूंछा था ,हैं उसके  वर कौन 

माँ ने कहा यही  श्याम  हैं तेरे वर |

जब बड़ी हुई विवाह हुआ चित्तोड़ के  राजा से

 उसने उनको पति  नहीं  स्वीकारा

उसके लिए मीरा मंदिर बनवाया राजा ने 

मीरा मंदिर में रहीं भजन में व्यस्त चित्तोड़ में

ऎसी कहानी है,कृष्ण भक्त रानी मीरा की |