उसने प्यार किया तुम से
किसी ने क्या चाहा तुमसे उपकार में
मुझे यह उचित नहीं लगा
तुम भूले मुझे क्या यह ठीक रहा |
मैंने तुम्हें अपना समझा
तभी आस लगाई तुमसे
शायद यही भूल मुझसे हुई
माफी भी तुमसे मांगी मागी |
पर तुम क्षमा करना भूल गए
तुमने मुझे अपना ना समझा
दिखावे में क्षमा कर दिया मगर
मन से क्षमा नहीं कर पाए
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यही किसी ने क्या चाहा तुमसे उपकार में
मुझे यह उचित नहीं लगा
तुम भूले मुझे क्या यह ठीक रहा
मैंने तुम्हें अपना समझा
यही भूल की मैंने |
यह तो याद रहा मुझे जो गैर हो
वह अपना नहीं हो सकता
पर दिखावा भी किया जा सकता
उसका लाभ लिया जा सकता है |
फल अच्छा मिलेगा या खराब
मैं जान नहीं पाई
तब मन ही मन पछताई
खैर बीती घटना पर क्यों दुःख हो |
जो भाग्य में लिखा है वही तो होना है
अपने भाग्य से कोई बच नहीं सकता
ईश्वर के विधान को बदला नहीं जा सकता
ईश्वर की कृपा तो चाहिए कुछ मिलने को |
आशा सक्सेना