12 अगस्त, 2023

आज है यह हाल तब आगे क्या होगा

 नन्हें मुन्ने ज़रा सोच कर देखो 

यह है दुकान मन चाहता 

हर वस्तु हो मेरे पास

किसी से सांझा नहीं करू|

हो आवश्यक या हो ना हो 

चाहिए या नहीं ,पर लेना है 

जिससे मन को शांति हो 

जिद्द तो   पूरी हो 

,मन में ना रहे यह वस्तु हमारे पास नहीं 

हमें तो यही चाहिए |

जब तक ना  मिले 

रोना गाना चलता रहे 

पर हर चीज तो मिलने से रही |

अपनी आदतों में सुधार करो 

अभी से है यह हाल

 तो आगे ना  जाने क्या होगा 

यही हाल तुम्हें समाज से  दूर करेगा|

 | जिसने तुम्हें नहीं समझा 

वह  तुमसे ना मित्रता रखेगा 

तुम अपनी जिद्द के आगे

किसी को नहीं समझोगे 

जीवन में सफल नहीं  रहोगे

 कभी खुशी ना पाओगे |

आशा सक्सेना 































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10 अगस्त, 2023

किसी की बन्दिश नहीं मंजूर उसे

 

किसी की बंदिश सहना नहीं मंजूर उसे

यदि उसने सोच लिया

उसने सही मार्ग चुना है 

वह  सही राह पर चल रही |

जो मन में आया वही किया उसने

किसी के साथ ना चल पाई वह

ना ही अनुसरण कर पाई किसी का

यही जिद रही उसकी उस में ही खुश रही |

छोटा समझ की जिद पूरी

किसी ने  ठीक से समझाया नहीं उसे

हर जिद्द पूरी की उसकी

 मन-मौजी  बना दिया उसे |

जीवन की अच्छाई ने

 मन मोजी बना दिया  उसको 

भूले से नहीं स्वीकारा है

है यही सलाह मेरी

 यदि हो मन की चाह

 उस पर चलना है  

किसी से क्या कहा क्या सुना

अपने मन का गुबार निकाल फेंका

यह कैसे सूझा

 क्या तुम नही जानते

मुझसे प्यारी वह  लगी तुमको

  लगा बड़ा कटु मन को मेरे

जो आज तक भूल ना पाई 

उन बातों को

मन में तीर सी चुभी वे बातें

आसुँ की झील सी बह निकली

मिली नदिया में जा कर

 बही साथ  जा कर नदिया के

यह तक ना सोचा

अंत क्या होगा तेज बहने  से

क्या मैं अपना अस्तित्व बचा पाऊँगी

राह भटक कर क्या होगा|

आशा सक्सेना 

 

 

09 अगस्त, 2023

उसने प्यार किया तुमसे

 उसने प्यार किया तुम से 

 किसी ने क्या चाहा तुमसे उपकार में

मुझे यह उचित नहीं लगा

तुम भूले मुझे क्या यह ठीक रहा |

मैंने तुम्हें अपना समझा

 तभी आस लगाई तुमसे

शायद  यही भूल मुझसे हुई 

माफी भी तुमसे मांगी मागी |

पर तुम  क्षमा करना भूल गए

तुमने मुझे अपना ना समझा 

दिखावे में क्षमा कर दिया मगर 

 मन से क्षमा नहीं  कर पाए  |

यही किसी ने क्या चाहा तुमसे उपकार में

मुझे यह उचित नहीं लगा

तुम भूले मुझे क्या यह ठीक रहा

मैंने तुम्हें अपना समझा

यही भूल की मैंने |

यह तो याद रहा मुझे जो गैर हो 

वह अपना नहीं हो सकता 

पर दिखावा भी किया जा सकता

उसका लाभ लिया जा सकता है |
 
फल  अच्छा मिलेगा या खराब 

मैं जान नहीं पाई 

 तब मन ही मन  पछताई 

खैर बीती घटना पर क्यों दुःख हो |

जो भाग्य में लिखा है वही तो होना है

अपने भाग्य से कोई बच  नहीं सकता 

ईश्वर के विधान को बदला नहीं जा सकता 

ईश्वर की कृपा तो चाहिए कुछ मिलने को | 

आशा सक्सेना 

 

08 अगस्त, 2023

किसी ने कब कहा उपकार में

किसी ने क्या चाहा तुमसे उपकार में
मुझे यह उचित नहीं लगा
 तुम भूले मुझे 
क्या यह ठीक रहा
 मैंने तुम्हें अपना समझा  
तभी आस लगाई तुमसे 
शायद यही भूल मुझसे हुई | 
माफी भी तुमसे मांगी
 पर तुम क्षमा करना भूल गए
 दिखावे में क्षमा कर दिया मगर
 मन से क्षमा नहीं कर पाए |
 यही भूल हुई मुझसे
 मैंने सोचा बात आई गई हो गई 
फिर सर ना उठाएगी 
मन को बेचैनी ना होगी |
 उसे सुख मिलेगा आगे 
पर मन में जन्मी गठान ने
 रूप विकृत किया 
शांति गायब हुई 
बेचैनी ने पैर पसारे |
 जीवन बद से बदतर हुआ 
पर क्या करते मन मसोस कर रह गए
 कोई हल ना सूझा 
आगे ना जाने क्या होगा जीवन कब सहज होगा |
 भविष्य में आशा की किरण कब आएगी 
क्षण भर भी नसीव ना हुआ |

                                                                       आशा सक्सेना 

02 अगस्त, 2023

हो जीत या हार मेरी

 

हो जीत या हो  हार मेरी

है  क्या मतलब किसी को

किसी को प्रसन्नता नहीं होती

मेरे  हर कार्य के सफल होने पर

सब को प्रसन्नता होती है मेरी हार पर 

जब भी असफल हुई लोगों ने

जश्न मनाया मिठाई खाई बड़ी से |

आशाहो जीत या हो  हार मेरी

है  क्या मतलब किसी को

किसी को प्रसन्नता नहीं होती

मेरे  हर कार्य के सफल होने पर

सब को प्रसन्नता होती है मेरी हार पर 

जब भी असफल हुई लोगों ने

जश्न मनाया मिठाई खाई बड़ी से |

आशा  

   

  

31 जुलाई, 2023

यह जीवन है इसे ऐसे ही जीना है

 

जीवन तो जीवन है 

इसको ऐसे ही जीना है 

कितनी भी कठिनाई आए 

सहन उसे भी करना है |

किसी की बंदिश सहना

 नहीं मंजूर उसे

यदि उसने सोच लिया

उसने सही मार्ग चुना है 

वह  सही राह पर चल रही |

जो मन में आया वही किया उसने

किसी के साथ ना चल पाई वह

नाही अनुसरण कर पाई किसी का

यही जिद रही उसकी उस में ही खुश रही |

छोटा समझ की जिद पूरी

किसी ने  ठीक से समझाया नहीं उसे

हर जिद्द पूरी की उसकी

मनमौजी बना दिया उसे |

आशा सक्सेना 

30 जुलाई, 2023

अपना पराया


उदास चेहरा मुरझाया आनन

 यह हाल है तुम्हारा 

मुझसे क्यओं  छि\पाया 

मुझे बताया नहीं |

तुमने मुझे अपना नहीं समझा 

 मुझे पराया समझअपने से दूर रखा  

यही मुझे दुखद लगा पर क्या करती 

यहीं मात खाई मैंने, दौनों में अंतर ना  किया |

हमने कभी सीखा नहीं 

गैर को भी अपना समझा 

 कदम रखा उस धरा पर 

जिसने उसे अपनाया |

मुझमें तुझमें है भेद क्या

 यूँ तो   किसी ने ना जताया 

पर मेरे पास आते ही 

अंतर मन को ठेस लगी उसके |

मैंने इशारे में समझ लिया 

खुद को उससे  भी  दूर किया

यह मेरा नसीब है या आशीष प्रभु का 

किसी को क्या दोष दूं मेरे  |प्रारब्ध में  यही है  |

सब से दूर रह कर चलना है 

अपने भाग्य को समझना है 

मेरे मन में कपट नहीं है 

इसे भी नहीं भूलना है |

आशा सक्सेना