ना कभी प्यार मिला किसी से
नाही बदले में दिया कभी
यह भी ना सोचा कि
जीवन स्नेह बिना नहीं चलता |
पहले परिवार में रहते एक साथ
यह भी रास नहीं आया किसी को
अकेले रहने पर बाध्य किया
पहले तो अच्छा लगा पर
फिर मन में बेचैनी होने लगी
अकेलापन सालने लगा मन को |
कई बार अश्रु भर भर आए
उनका सैलाव बढ़ने लगा
कभी नदी का एहसास हुआ
तब भी किसी ने साथ ना दिया
सोचने पर मजबूर किया
अकेले रहें या साथ
जीवन कैसे जिया जाए |
आशा सक्सेना