१-कुछ कहना
सुनना नहीं अब
यादें ही बाक़ी
२--तुम्हारे बिना
मन भटकता है
याद सताती
३ -कैसे भूलती
जिसे ना भूली कभी
पल भर को
४ -तन्मय रही
अपनी यादों में खोई
व्यस्तता रही
आशा सक्सेना
१-कुछ कहना
सुनना नहीं अब
यादें ही बाक़ी
२--तुम्हारे बिना
मन भटकता है
याद सताती
३ -कैसे भूलती
जिसे ना भूली कभी
पल भर को
४ -तन्मय रही
अपनी यादों में खोई
व्यस्तता रही
आशा सक्सेना
भक्तो की महफिल में
भावों का समूहन हुआ
भावनाएं प्रवल हुई
भक्त हुए आसक्त उन में |
दोनो रहते साथ आपस
कोई बहस नहीं होती
मिलजुल कर साथ आते जाते |
जब आहाट होती दरवाजे पर
महमानों का स्वागत होता
दिलो जान से खुश हो कर
मेंहमानों को बैठाया जाता मंच पर |
कार्यक्रम पारंभ होता परिसर में
मां सरस्वति के पूजन अर्चन से
अपने अपने विचार रखे जाते
सब के समक्ष पूरे प्रमाणों से |
कार्यक्रम सफल होता
भगवत भजन की अन्तिम प्रस्तुति से
सब का स्वागत होता पुष्प मालाओं से
सब प्रस्थान करते अपने अपने घरों को |
आशा सक्सेना
|
यह कैसी जिन्दगी
कुछ नया नहीं
फैला -चारो ओर अन्धेरा
जीवन में खुशी नहीं |
फैला हुआ दुखी जीवन
उजड़ा हुआ सारा जीवन
किसी काम का नहीं
खुशहाल छोटा सा जीवन हो
इसी की राह देखती है |
सपने सजाती है इसके
कठिनाई से रहती है दूर्
प्यार के बहुत नजदीक
प्यार पशु पक्षियों से करती |
अपने बच्चों को भी यही सिखाती
प्यार प्रेम को गले लगाओ
दुनिया में सफल होजाओ
सब के प्रिय होते जाओ |
आशा सक्सेना
1-सुनहरी है
शाम की रंगीनियाँ
अस्त सूरज
२-हरी पत्तियाँ
वृक्षों पर सोहतीं
मुरझा गईं
३-हरा भरा है
बगिया का आलम
माली खुश है
४-सावन आया
झरझर बरसा
टपका जल
५-बादल घिरा
बिजली कड़की है
बर्षा हो रही
६- सर्द हवा है
बहती है खुशी से
नाच मयूर
७-ओले बरसे
भर लिए थाल में
दवा के लिए
८ -वर्षा आई है
सुहाना मौसम है
चलो घूमने
आशा सक्सेना
आज करवाचौथ
है |
बिना जल के कठिनाई से
शाम का समय निकलता
बहुत मुश्किल से |
कुछ समय तो
गृह कार्य में निकल जाता
कुछ पूजा में
कुछ चाँद निकलने के बाद |
चाँद कभी समय पर उदय हो जाता
कभी बहुत इंतज़ार करवाता
टाइम होते ही बच्चे ऊपर छत पर जाते
चंद्रोदय की सूचना देते |
पूजा की थाली जल्दी से ले कर
छत पर आ दर्शन करती
छलनी में मुंह देख पिया का
पूजन पूरा करती |
आशा सक्सेना
यह ख्याल है या मलाल मन का
जीवन का कुछ उधार है
ना जाने क्यों खुशी आती है
और गुम हो जाती है पल में |
पल भर की खुशी टिक कर रह नहीं पाती
यदि आजाए किसी को सहन ना हो पाती
मन को गहरे घाव दे जाती पर
मैं असहाय सी देखती रह जाती |
कभी खुद पर बहुत क्रोध आता है
कभी अपनी कमजोरी पर तरस आ जाता है
जानने लगी हूँ असफल रही
जीवन में आगे बढ़ने को |
पर खिली खिली ना रह पाई
रही आधी अधूरी जीवन भार सा
पर मेरे हाथ में क्या रहा
अब तक जान नहीं पाई |
यही सिखाया मुझे किसी के व्यवहार ने
अब वही गलती मेरे हाथों से न होगी
सब से मिलजुल कर रहूंगी
किसी से बहस ना करूंगी |
आज का दिन खुशियों से भरा था
आज जीवन को कुछअलग सा हुआ अहसास
कितने लोग पहले से आऐ था
आज शाम के कार्यक्रम की प्रतीक्ष में
सभी बड़े प्रसन्न थे
गीत गा रहे ढोलक की थाप पर
दोपहर को समाचार आया
व्यस्तता अधिक बढी
गौधुली बेला में पंडित जी आए थे भोपाल से
गुडिया की तरह सजाई गई दुलहन
मन्त्रों की छाँव में विवाह सम्पन्न हुआ
जीवन की कठिनाइयों का आभास तक ना हुआ
जिन्दगी रंगीन दिखाई दी
ईश्वर के हाथों जीवन सोंप दिया
आशा सक्सेना