सागर की लहरें कोई छोटी कोई बड़ी
झूम झूम कर आतीं किनारों से टकरातीं
कोई टूट कर बिखर जाती कोई लौट जाती
अपने आसपास की वस्तुएं साथ वहा कर ले जातीं|
कभी विकराल रूप धारण करती
कई लहरें आपस में मिलकर आगे बढ़तीं
यह रूप उनका ह्रदय विदीर्ण करता
पीछे से पलट कर देखा नहीं जा सकता |
जान माल का नुक्सान होता कितना
यह भी सोचा नहीं जा सकता
किनारे पर रहने वाले अश्रु पूरित नैनों से
अपने उजड़ते घरों को देखते रहते असहाय से |
इन भयावह लहरों के नामकरण होते
किसी को सुनामी कहा जाता
कोई बार बार आती नया नाम लिए
दिल दहलाती किनारे रहने वालों के |
आशा सक्सेना