03 जनवरी, 2024

मैंनेअब सोच लिया है

मैंने तो  सोच लिया है 

मुझे क्या करना है 

क्या करना चाहिए 

क्यों नहीं करना चाहिए |

किसी से बैर नहीं  होने  से 

खुश हाल जिन्दगी जीना है 

किसी से बैर पाल कर क्या मिलेगा 

 होगा क्या मुझे मालूम है   |

यदि पूरा मालूम न भी हो 

कुछ तो जानकारी है अवश्य 

 कठिनाई से  कैसे दूर रहूँ 

क्या रखा है उलझनों में |

यदि उलझन से दूर रही 

 सही रूप रूप से जी पाऊँगी  

यदि सही रूप न जान सकी 

घुट घुट कर यूंही मर जाऊंगी  |

ईश्वर के नजदीक रही अगर 

कोई गलत राह नहीं चुनूंगी 

मिलेगी सही राह जब 

जीवन खुशियों से भर लूंगी |

आशा सक्सेना 

02 जनवरी, 2024

हाइकु

 

१-जिस दिन से

यह खेल हुआ है

  मजा आ गया  

२-जिन्दगी  यहाँ 

सीधी लकीर नहीं

 कांटे  हैं यहाँ 

३- उलझन है

मार्ग सीधा नहीं है

कोशिश करो

४-सागर नहीं

गहरा सरोबर

गहरी खाई

५-कितना भय

जल कलकल से

भय ना कर

आशा

सुबह हुई फूल खिला

 



बंसी वाले  की शक्ति

 राधा है बरसाने की  

तभी नाम आगे आता

 उसका कृष्ण के पहले |

जब पूजन किया जाता

 राधा कृष्ण बोला जाता

पहले राधा का नाम ही आता

मंदिर मैं है स्थापित 

राधा मोहन की मूर्ति |

सुबह हुई पुष्प खिले बागों में 

माली की ख़ुशी का 

ठिकाना न रहा जब फूल ले जाए गए 

चढ़ाए जाने को मंदिर में |

जब मंदिर से घंटियों की 

आवाज आने लगी ढोल बजा आए भक्त 

नमन के लिए राधे श्याम की |

अनोखा सौदर्य विखरा वहां 

चलते राही ठिठक कर रह गए 

रुके दर्शन को राधे श्याम के 

अभूत पूर्व सुकूँन मिला भक्तों को  |

आशा सक्सेना 

 

01 जनवरी, 2024

हाइकु

 

१-बहुत किया

             प्यार की सीमा नहीं                                                                है बेमिसाल 

 

२- ममता नहीं

नहीं  कोई  लगाव

यह क्या है   

 

३- रूखापन है

किस काम का रहा

ऐसा मिजाज

 

४- मन करता

जो भी हो सरल

सहज काम

 

५- प्रेम ही फैला

सबसे जुदा होकर

किसी ने कहा  


आशा सक्सेना 

31 दिसंबर, 2023

आनेवाला कल

·

आज की  रात बीतेगी नया साल

मनाने के लिये स्वागत की तैयारे में  

 आने वाले वर्ष  के स्वागत की मौज मस्ती में

कल सुबह तक नींद न आएगी खुमारी  रहेगी |

आज की रात आई है दो हजार तेईस में  

कल सुबह आएगी दो हजार चौबीस में

हमारी नींद खुलेगी पूरे एक साल बाद ने साल में

कल सुबह  आदित्य अपने रथ पर हो सबार

घूमने निकलेगा देशाटन को

रश्मियाँ उसकी फैलेंगी वृक्षों की पत्तियों पर 

बहुत सुन्दर नजारा होगा बाग़ का 

जितना सुन्दर सुवह का नजारा होगा 

आज की  रात बीतेगी नया साल

मनाने के लिये स्वागत की तैयारे में  

 आने वाले वर्ष  के स्वागत की मौज मस्ती में

कल सुबह तक नींद न आएगी खुमारी  रहेगी |

आज की रात आई है दो हजार तेईस में  

कल सुबह आएगी दो हजार चौबीस में

हमारी नींद खुलेगी पूरे एक साल बाद ने साल में

कल सुबह  आदित्य अपने रथ पर हो सबार

घूमने निकलेगा देशाटन को

रश्मियाँ उसकी फैलेंगी वृक्षों की पत्तियों पर

बाग़ में फूल खिलेंगे सुरभी जाएगी दूर तक 

माली की खुशी होगी दोगुनी |

आशा सक्सेना 

 

30 दिसंबर, 2023

जीवन की गाड़ी


 

जब जन्म लिया बड़ी हुई 

मेरी गाड़ी चल निकली

समय के साथ साथ

कोई व्यवधान नहीं आया |

जीवन चला निर्वाध गति से

कोई कठिनाई नहीं आई मार्ग में

पर जैसे जैसे उम्र बढ़ी

बाधाओं ने रंग दिखाना प्रारम्भ किया  |

पहले छोटे झटके लगे जिनसे सरलता से उभरी  

बड़े झटके सहन ना कर पाई लडखडाई गिरी

फिर गिर कर सम्हली आगे चली

अब तो यह रोज की बात हो गई |

समय की गति तो सामान्य  रही

 मेरी गाड़ी की गति कभी तेज कभी धीमी हुई

मेरी गाड़ी समय की बराबरी न कर सकी

आखिर हिम्मत हार गई बहुत पिछड कर रह गई |

आई प्रभु की शरण है तरन तारण

अब वही आशा ले कर आई हूँ

मेरी आशा पूर्ण करों भव सागर से पार करो

 गाड़ी सही मार्ग पर लाओ जीवन का बेड़ा पार लगाओ|

29 दिसंबर, 2023

दीपक हुआ उदास




है आज दीपक उदास

अकेलापन उसे डसता है

जब से हुआ अपने

सयोगीयों से जुदा |

बैठा है बहुत  उदासी से भरा

 अपने साथिओं के अभाव मैं

जिनने उसे छोड़ा बिना बात

उसने पाया अकेला खुद को |

उसने सोचा था

वह  अकेला ही काफी है

जलने के लिए समीर के साथ  

अपने  कार्य के लिए |

 नहीं आवश्यकता होगी

 तेल और बाती की

पर वह जान न पाया

अकेला कुछ नहीं कर सकता |

बिना सहयोग लिए

 तेल और बाती  का

समीर के बिना भी

 कुछ नहीं हो सकता  |

जब सब एकत्र हो  जाते हैं

मिल जुल कर कार्य

 सम्पन्न करते हैं  

दीपक जल जाता है

पूर्ण रौशनी के साथ |

मन का अन्धेरा भी

 लुप्त हो जाता है

जब घर का कोना कोना

रोशनी में नहाता है |

आशा सक्सेना