23 मार्च, 2024
22 मार्च, 2024
तुम्हारी सालगिरह पर शुभ कामनाएं
आज मेरे सपनों नें
तुम्हें देखा सुबह ही
बहुत से विचारों में
खो गई तुम्हारे बचपन की यादों में |
दिए बिना बचपन की यादें
तुम कब बड़ी होईं
समय कब बीता
मुझे चिंता सी हो गई
कल उसको भी बहुत उदास देखा
और बहुत दिखी कमजोर सी
मुझे लगा बहुत खाली घर
याद आई तुम्हारी बचपने की
खाली घर बिना बच्चों के
कितना खाली तुम्हारे बिना |
प्रभू से की प्रार्थना दिल पूरे मन से
ईश्वर करे तुम्हें मेरी भी
उम्र लग जाए
हर वर्ष ऐसे ही
जन्म दिन तुम्हरा मनाएं |
आशा सक्सेना
21 मार्च, 2024
आसपास राम ही राम
हाँ वहां आसपास चारो ओर
वातावरण हुआ राम मय
दिन में राम रात को राम
सोते जागते राम सपनों में राम
राम में खो गई और न दीखता कोई |
माया छुटी मोह से हुई दूर
केवल ममता रही शेष
वह भी होने लगी दूर मुझ से
अपने आपमें रमती गई
दुनियादारी से हुई दूर
केवल राम के रंग में रंगी |
जब दुनिया कहे भला बुरा मुझे
इसका कोई प्रभाव नहीं होता
मुझे एक ही चिंता बनी रहती केवल
राम से दूरी न होय |
जागूं तो राम मिले
सोते में विचार मन में राम का होय
जब देखूं सारे दिन आसपास
राम राम दिखता रहे
सारा जग राम मय हो जाए |
आ राम मय
14 मार्च, 2024
सहज सुदर
काले कजरारे
प्यारे बड़े दीखते
दो नयना मतवारे
जल भरा नयनों में
उसकी रफ्तार
बहती नदिया सी
साथ लिए जाती
कई कण जल
अपने संग |
सभी को पसंद हैं
येजल भरी आँखें
निराला अंदाज लिए
सभी चाहते उनसा होना |
मुझे भी पसंद
ये भोली प्यारी आखे |
आशा सक्सेना
काले कज्ररारे
काले कजरारे
प्यारे बड़े दीखते
दो नयना मतवारे
जल भरा नयनों में
उसकी रफ्तार
बहती नदिया सी
साथ लिए जाती
कई कण जल
अपने संग |
सभी को पसंद हैं
येजल भरी आँखें
निराला अंदाज लिए
सभी चाहते उनसा होना |
मुझे भी पसंद
ये भोली प्यारी आखे |
आशा सक्सेना
12 मार्च, 2024
दो कबूतर एक साथ
१-दो कबूतर
बैठे एक डालपे
गुटर गूं की
-दाना खा रहे
मिल बांट कर प्यार से
खुश हो कर
- प्यार ही प्यार
फैला आसमान में
मीठी बोली है
उड़ान भरी
कबूतर सामान
नही आराम
-है मेहनती
किसी से कम नहीं
अलग दिखे
संदेश देता
अपनी ही प्रिया को
पत्र दे कर
कबूतर है
साथ में कोई नहीं
पत्र वाहक
अनुशासन
कबूतर सामान
-दो कबूतर
बैठे एक डालपे
गुटर गूं की
-दाना खा रहे
मिल बांट कर प्यार से
खुश हो कर
- प्यार ही प्यार
फैला आसमान में
मीठी बोली है
उड़ान भरी
कबूतर सामान
नही आराम
-है मेहनती
किसी से कम नहीं
अलग दिखे
संदेश देता
अपनी ही प्रिया को
पत्र दे कर
कबूतर है
साथ में कोई नहीं
पत्र वाहक
अनुशासन
कबूतर सामान
नही आराम
-है मेहनती
किसी से कम नहीं
अलग दिखे
-संदेश देता
अपनी ही प्रिया
को
पत्र दे कर
-कबूतर है
साथ में कोई नहीं
पत्र
वाहक
अनुशासन
सिखा रहा किससे
कहाँ जाकर
१-दो कबूतर
बैठे एक डालपे
गुटर गूं की
-दाना खा रहे
मिल बांट कर प्यार से
खुश हो कर
- प्यार ही प्यार
फैला आसमान में
मीठी बोली है
उड़ान भरी
कबूतर सामान
नही आराम
-है मेहनती
किसी से कम नहीं
अलग दिखे
संदेश देता
अपनी ही प्रिया को
पत्र दे कर
कबूतर है
साथ में कोई नहीं
पत्र वाहक
अनुशासन
कबूतर सामान
आशा सक्सेना
10 मार्च, 2024
बचपनसे योवन तक
आज की हंसती खिलखिलाती
मधुरता बिखेरती बालाओं का
जीवन है अनमोल वेश कीमती
हैं घर की रौनक वे
दो परिवारों की सम्रद्धि हैं वे
उनसे किसी की तुलना नहीं
स्वर्ग सा प्रतीत होता है
जहां हो वास बालाओं का
वह घर हरा भरा खुशियों से
महक आती है पुष्पों की
सुरभि फैल जाती है दूर तक |
बचपन की रौनक किसी से कम नहीं
घर भरा जाता है किलकारियों से बचपन की |
सुधड़ हो जब दूसता घर आबाद करती
सब की खुशी का ठिकाना नहीं होता
वह हो कर सफल गृहणी
सभी का अभिमान होती |
आशा सक्स्तना