है जीवन का नाम
एक एक सौपान चढना
साथ किसी का मिलते ही
बढ़ने की गति द्रुत होना |
इस दुनिया में आते ही
ममता मई गोद मिलती
माँ के प्यार की दुलार की
अनमोल निधि मिलती |
आते ही किशोरावस्था
कोइ होता आदर्श उसका
अनुकरण कर जिसका
अपना मार्ग प्रशस्त करता |
होती कठिनाई तरुणाई में
फंसता जाता दुनियादारी में
कोल्हू के बैल सा जुता रहता
खुद को स्थापित करने मैं |
यदि भूले से पैर फिसलता
गर्त में गिरता जाता
फिर सम्हल नहीं पाता
फँस कर रह जाता मकड़जाल में |
जीवन के अंतिम सौपान पर
जैसे ही कदम रखता
भूलें जो उससे हुईं
प्रायश्चित उनका करता |
फिर दिया जलाता वर्तिका बढाता
जब स्नेह समाप्त होता
हवा के झोके से लौ तेज होती
फिर भभक कर बुझ जाती |
फिर न कोइ सौपान होता
ऊपर जाने के लिए
उसके जीवन की कहानी
बस यूँ ही समाप्त होती |
आशा