सूखे पीले पत्ते बिछे सारी राह में
हवा के साथ में बह चले
धूल धक्कड़ होती चारो ओर
वहां खड़े रहना होता मुश्किल
|
पतझड़ का मौसम बड़ा अजीब लगता
सूखी डालियाँ नजर आतीं
वन वीरान होते जाते
कुछ पेड़ों में हरी पत्तियाँ झाँकतीं डालियों के
कक्ष से |
कुछ समय के बाद पेड़ में
हरियाली के दर्शन हुए
लहलहाई पत्तियों से लदी
डालियाँ
अनोखा आकर्षण आया लहराती
डालियों में
गीत गाते रंग बिरंगे पक्षी यहाँ यहाँ वहां डोलते |
जब कानों में गूंजती वह मधुर ध्वनि
पैर स्वतः ही बढ़ने लगते जंगल
की ओर
उसमें ही रमना चाहते वहां
हरियाली में
घूमना चाहते ताजी हवा में |
भुवन भास्कर के आते ही पत्तियों
पर
पैर पसार् लेतीं रश्मियाँ
पूरा बाग़ चमक उठता उनकी आभा
से
मन होता कुछ देर ठहर जाऊं
वहां |
आशा सक्सेना
है जीवन अधूरा प्रिय तुम्हारे बिना
पहले भी खालीपन रहता था
जब कभी तुम बाहर जाते थे
जल्दी ना लौट पाते थे |
आते ही मेरी शिकायतों की
दुकान लग जाती थी
फिर भी देर तक रूठी ना रह पाती थी
मन ही जाती थी |
अब वह भी संभव नहीं
तुमने साथ जब छोड़ा मैं अकेलेपन से घिरी
अब किसी का साथ नहीं है
मन पर बोझ भारी है |
कितनी कोशिश करती हूँ
मन को व्यस्त रखने की
पर चित्त एकाग्र नहीं हो
पाता
कैसे उसे समझाऊँ ,यह किसी
ने न बताया |
धीरे धीरे आध्यात्म की ओरझुकाव
होने लगा
शायद सफल हो पाऊं इसमें कुछ तो कर पाऊं
प्रभु को पाकर ही अपने को
धन्य मानूं |
आशा सक्सेना
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अथाह ज्ञान केवल
पुस्तकों से नहीं आता
बहुत प्रयत्न करने होते
अनुभव के संचय के लिए |
यह ज्ञान से नहीं आते
उनको भी गुनना पड़ता है
जीवन में उतारना पड़ता है
जीवन में अनुभवों की कमीं नहीं |
यह क्रिया तभी
संपन्न होती है
जब मन में दृढ प्रतिज्ञा हो
जीवन में उतारने की क्षमता हो
किसी के कहने सुनने से
कुछ नहीं होता
मन में होना चाहिए ललक
परखने की व अनुकरण की |
उनको सीखने के लिए
जीवन में उतारने के लिए
नियमित अभ्यास की
होती है आवश्यकता |
पूर्ण श्रद्धा से किये कार्य
अनुभव से सफलता ही देते हैं
जीवन में असफलता
कभी नजदीक नहीं आती |
आशा सक्सेना
तुम्हारे सानिध्य में उसे
तुम्हारा भक्त बना दिया है
पहले जीवन बेरंग था तुम पर आस्था रखी
जीवन सार्थक कर दिया |
यही आस्था और विश्वास उसे
जीवाव जीने की प्रेरणा देते
उसे
कितनी भी समस्या आए
उसको पार करना सिखा दिया उसे |
जीवन में समस्याओं की
कोई कमी नहीं होती
यदि उनसे दूर भागे
कैसे सफल जीवन जी पाएंगे |
जितनी कोशिश उनसे
बाहर निकलने की करेंगे
जितनी सफलता पाएगे
तुम पर आस्था बढ़ती जाएगी
और प्रगाढ़ होती जाएगी |
आशा सक्सेना
१-जीवन नैया
जल में डाली गई
आगे बहती
२-कहते रहे
यह क्या हो रहा है
किसी ने कहा
३-कविता गाई
मन में बसी रही
बड़े प्यार से
४-चतुर हुए
गीत गीत गाकर
पाई प्रशंसा
५-गुनगुनाओ
गीत मधुर लगा है
शब्द प्यारे हैं |
आशा सक्सेना
जीवन की राह हुई भूल भुलिया जैसी
जब भी कदम बढाए उसमें फँस
कर रह गई
जब भी आगे बढ़ना चाहां राह नजर
ना आई
कदम बढाए दीवार से टकराई
आगे बढ ना पाई |
बचपन में कोई कठिनाई ना थी जीवन
चलता रहा सरलता से पर
मुझे आगे के जीवन का अंदाजा
न था
जब उम्र बढी जीवन में झमेले ने रोका
जितनी कोशिश की उतनी ही उलझती
गई
भूल भुलैया से
निकलने में किसी ने मार्ग दर्शन ना दिया |
दो कदम भी ना बढे
मेरे मैं जहां थी वहीं रही
जहां से अन्दर
प्रवेश किया था वहीं खुद को खडा पाया
कुछ समय बाद अपने को वहीं पाया आगे कोई राह ना
मिली
जितना आगे बढ़ती वहां का मार्ग बंद हो जाता |
कोई सीधा मार्ग नजर ना आया
ऐसी भूल भुलैया में फँस कर रह गई
कोई सीधा मार्ग न मिला
जीवन में आगे बढ़ने की राह अवरुद्ध हुई |
आशा सक्सेना