१-बचपन में
किस बात की चिंता
सभी सुख हैं
२- किशोर वय
बाहर का नजारा
आकृष्ट हुआ
३-यौवन आया
भौतिक जीवन है
जिसमें खोया
४- कदम बढ़े
धर्म झांका मन में
हुई धार्मिक
5-भक्ति जगी
रही सफल जीती
मिली प्रभु से
आशा सक्सेना
१-बचपन में
किस बात की चिंता
सभी सुख हैं
२- किशोर वय
बाहर का नजारा
आकृष्ट हुआ
३-यौवन आया
भौतिक जीवन है
जिसमें खोया
४- कदम बढ़े
धर्म झांका मन में
हुई धार्मिक
5-भक्ति जगी
रही सफल जीती
मिली प्रभु से
आशा सक्सेना
कितना जीवन है शेष
कोई न जान सका
कोशिश मैंने भी की
पर सफल न हो पाई |
काम कितने पसारे जाएं
इसका भी अंदाज नहीं
यदि पहले ही आत्मा ने
चोला छोड़ा तब क्या होगा |
किसी ने नहीं बताया कब बुलावा आएगा
चाहे कितना भी बड़ा पंडित हो
तभी कहा जाता इतने ही काम पसारो
जो पूरे किये जा सकें अधूरे कार्य न रहें |
तभी शान्ति से मुक्ति होगी
मेरे मन में संतुष्टि होगी
यह आत्मा नहीं भटकेगी
जीवन सफल हो पाएगा |
आशा सक्सेना
मैंने तो सोच लिया है
मुझे क्या करना है
क्या करना चाहिए
क्यों नहीं करना चाहिए |
किसी से बैर नहीं होने से
खुश हाल जिन्दगी जीना है
किसी से बैर पाल कर क्या मिलेगा
होगा क्या मुझे मालूम है |
यदि पूरा मालूम न भी हो
कुछ तो जानकारी है अवश्य
कठिनाई से कैसे दूर रहूँ
क्या रखा है उलझनों में |
यदि उलझन से दूर रही
सही रूप रूप से जी पाऊँगी
यदि सही रूप न जान सकी
घुट घुट कर यूंही मर जाऊंगी |
ईश्वर के नजदीक रही अगर
कोई गलत राह नहीं चुनूंगी
मिलेगी सही राह जब
जीवन खुशियों से भर लूंगी |
आशा सक्सेना
१-जिस दिन से
यह खेल हुआ है
मजा आ गया
२-जिन्दगी यहाँ
सीधी लकीर नहीं
कांटे
हैं यहाँ
३- उलझन है
मार्ग सीधा नहीं है
कोशिश करो
४-सागर नहीं
गहरा सरोबर
गहरी खाई
५-कितना भय
जल कलकल से
भय ना कर
आशा
बंसी वाले की शक्ति
राधा है बरसाने की
तभी नाम आगे आता
उसका कृष्ण के पहले |
जब पूजन किया जाता
राधा कृष्ण बोला जाता
पहले राधा का नाम ही आता
मंदिर मैं है स्थापित
राधा मोहन की मूर्ति |
सुबह हुई पुष्प खिले बागों में
माली की ख़ुशी का
ठिकाना न रहा जब फूल ले जाए गए
चढ़ाए जाने को मंदिर में |
जब मंदिर से घंटियों की
आवाज आने लगी ढोल बजा आए भक्त
नमन के लिए राधे श्याम की |
अनोखा सौदर्य विखरा वहां
चलते राही ठिठक कर रह गए
रुके दर्शन को राधे श्याम के
अभूत पूर्व सुकूँन मिला भक्तों को |
आशा सक्सेना
१-बहुत किया
प्यार की सीमा नहीं है बेमिसाल
२- ममता नहीं
नहीं कोई लगाव
यह क्या है
३- रूखापन है
किस काम का रहा
ऐसा मिजाज
४- मन करता
जो भी हो सरल
सहज काम
५- प्रेम ही फैला
सबसे जुदा होकर
किसी ने कहा
आशा सक्सेना
·
मनाने के लिये स्वागत की
तैयारे में
आने वाले वर्ष के स्वागत की मौज मस्ती में
कल सुबह तक नींद न आएगी खुमारी
रहेगी |
आज की रात आई है दो हजार
तेईस में
कल सुबह आएगी दो हजार चौबीस
में
हमारी नींद खुलेगी पूरे एक
साल बाद ने साल में
कल सुबह आदित्य अपने रथ पर हो सबार
घूमने निकलेगा देशाटन को
रश्मियाँ उसकी फैलेंगी
वृक्षों की पत्तियों पर
बहुत सुन्दर नजारा होगा बाग़ का
जितना सुन्दर सुवह का नजारा होगा
आज की रात बीतेगी नया साल
मनाने के लिये स्वागत की
तैयारे में
आने वाले वर्ष के स्वागत की मौज मस्ती में
कल सुबह तक नींद न आएगी खुमारी
रहेगी |
आज की रात आई है दो हजार
तेईस में
कल सुबह आएगी दो हजार चौबीस
में
हमारी नींद खुलेगी पूरे एक
साल बाद ने साल में
कल सुबह आदित्य अपने रथ पर हो सबार
घूमने निकलेगा देशाटन को
रश्मियाँ उसकी फैलेंगी वृक्षों की पत्तियों पर
बाग़ में फूल खिलेंगे सुरभी जाएगी दूर तक
माली की खुशी होगी दोगुनी |
आशा सक्सेना